नई दिल्ली: विपक्षी दलों की बैठक के ठीक पहले इस विपक्षी एकता को झटका लगता नजर आ रहा है। बिहार सरकार में सहयोगी रहे हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज गृहमंत्री अमित शाह से भेंट की हैं। इस दौरान उनके साथ बिहार के पूर्व मंत्री संतोष सुमन भी मौजूद रहे। हालाँकि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई यह पता नहीं चल सका है, लेकिन अटकले लगाईं जा रही है कि जीतनराम मांझी एक बार फिर से पाला बदलकर एनडीए का हिस्सा बन सकते है। पिछले दिनों बिहार के नीतीश सरकार से संतोष सुमन ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था की सीएम नीतीश कुमार उनकी पार्टी का जदयू में विलय कराना चाहते है। वही जीतन राम मांझी को भी विपक्षी दलों की बैठक का औपचारिक न्यौता नहीं मिला था जिसके बाद से वह भी नीतीश-तेजस्वी सरकार से नाराज चल रहे थे।
संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद जीतनराम ने प्रेस कांफ्रेंस भी किया था, जिसमे उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर आरोपों की बौछार की थी। उन्होंने कहा था कि नीतीश का कोई भरोसा नहीं, वह कभी भी फिर से भाजपा के पाले में जा सकते है। इसी तरह उन्होंने कहा था की नीतीश कभी तेजस्वी को सीएम नहीं बनाएंगे।
दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष संतोष सुमन ने केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात की। pic.twitter.com/AiiagOIl2e
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 21, 2023
बात करे जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ के बिहार में हैसियत की तो फ़िलहाल राज्य में उनके चार विधायक हैं। वे लम्बे समय से जदयू-राजद का हिस्सा रहे और बिहार सरकार को समर्थन देते रहे। संतोष सुमन ‘हम’ के कोटे से सरकार में मंत्री भी बनाये गए थे। हालांकि बगावती तेवर के बाद उनके कुछ विभागों को वापिस ले लिया गया था।
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इससे पहले जीतन राम ने यह एलान कर के सबको चौंका दिया था कि वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। उनके इस फैसले को विपक्षी दलों पर दबाव बनाने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा था। अंदर खाने से मिली ख़बरों की मानें तो जीतनराम नीतीश पर बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीट देने का दबाव बना रहे थे जबकि नीतीश चाहते थे कि ‘हम’ का विलय जदयू में हो जाये। इस खींचतान का नतीजा यह निकला कि जीतनराम ने अपनी राह जुदा कर ली। अब जब उन्होंने अमित शाह से भेंट की है तो उम्मीद जताई जा रही है कि वह फिर से एक बार एनडीए का हिस्सा बन सकते है। ऐसे में बिहार में विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है।