रांची, 14 नवंबर (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हेमंत सोरेन-नीत सरकार द्वारा इस साल के प्रारंभ में शुरू की गई मईंया सम्मान योजना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रौशन की खंडपीठ विष्णु साहू की उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह दलील दी गयी थी कि 21 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये प्रदान करने वाली इस योजना का उद्देश्य मौजूदा विधानसभा चुनावों के मतदाताओं को लुभाना है।
न्यायमूर्ति राव ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत राज्य सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि इस योजना का उद्देश्य जरूरतमंद महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
बाद में इस योजना को संशोधित किया गया, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को लाभ के लिए पात्र बनाने के वास्ते आयु मानदंड में ढील दी गई।
इस योजना के अनुसार, कुछ निश्चित योग्यता मानदंडों को पूरा करने वाली महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये मिलेंगे, जो सीधे उनके बैंक खातों में जमा किए जाएंगे। बैंक खाते को लाभार्थी के आधार कार्ड से लिंक करना आवश्यक है। केवल ऐसी महिलाएं ही इस योजना के लिए पात्र होंगी, जिनका परिवार न्यूनतम आयकर दायरे में नहीं आता है।
सिमडेगा निवासी साहू ने दावा किया कि यह योजना चुनावी प्रक्रिया में सत्तारूढ़ दल के लिए अनुचित लाभ पैदा करने का एक प्रयास है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अदालत द्वारा सुनवाई की जा रही याचिका का विवरण साझा किया और कानूनी प्रक्रिया में विश्वास व्यक्त किया।
भाषा सुरेश माधव
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