Congress adhiveshan: रायपुर। आज छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का 85वां अधिवेशन होने जा रहा है। इस अधिवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कांग्रेस के तमाम प्रतिनिधि रायपुर पहुंच गए है। लेकिन इससे पहले कांग्रेस के कितने अधिवेशन हुए और कौन अध्यक्ष रहा।
– Congress adhiveshan: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
– इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
– Congress adhiveshan: एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
– भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
– देश के सभी क्षेत्रों तक पहुंच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
– Congress adhiveshan: अधिवेशन का अध्यक्ष उसी क्षेत्र से चुना जाता था, जहां कि कांग्रेस के अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा हो।
अध्यक्ष: डब्ल्यू.सी. बनर्जी
अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
अध्यक्ष: सैयद बदरुद्दीन तैय्यबजी (पहले मुस्लिम अध्यक्ष)
अध्यक्ष: जॉर्ज यूल, पहले अंग्रेज़ अध्यक्ष
अध्यक्ष: रहीमतुल्ला सयानी
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा पहली बार राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ गाया गया।
अध्यक्ष: रमेश चंद्र दत्त।
भू-राजस्व के स्थायी निर्धारण की मांग।
अध्यक्ष: दिनशॉ ई. वाचा।
पहली बार गांधीजी कॉन्ग्रेस के मंच पर दिखाई दिये।
अध्यक्ष: गोपाल कृष्ण गोखले
सरकार के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा।
अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
इसमें चार प्रस्तावों को अपनाया गया: स्वराज (स्व सरकार), बहिष्कार आंदोलन, स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा।
अध्यक्ष: रास बिहारी घोष
कॉन्ग्रेस का विभाजन- नरमपंथी और गरमपंथी
सत्र का स्थगित होना।
अध्यक्ष: सर विलियम वेडरबर्न
एम.ए. जिन्ना ने 1909 के अधिनियम द्वारा शुरू की गई पृथक निर्वाचन प्रणाली की निंदा की।
अध्यक्ष: बी.एन. धर
कॉन्ग्रेस अधिवेशन में पहली बार जन-गण-मन गाया गया।
अध्यक्ष: सर एस.पी. सिन्हा
चरमपंथी समूह के प्रतिनिधियों को स्वीकार करने के लिये कॉन्ग्रेस के संविधान में बदलाव किया गया।
अध्यक्ष: ए.सी. मजूमदार
कॉन्ग्रेस के दो गुटों- नरमपंथियों और अतिवादियों के बीच एकता।
कॉन्ग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनीतिक सहमति बनाने के लिये लखनऊ पैक्ट पर हस्ताक्षर किये गए।
अध्यक्ष: एनी बेसेंट, कॉन्ग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष
अध्यक्ष: सैयद हसन इमाम
इस सत्र को विवादास्पद मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार योजना के संबंध में बुलाया गया था।
अध्यक्ष: मोतीलाल नेहरू
कॉन्ग्रेस ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन दिया।
अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
अध्यक्ष: सी. विजयराघवाचार्य
भाषायी आधार पर कॉन्ग्रेस की कार्य समितियों का पुनर्गठन।
अध्यक्ष: सी.आर. दास
सी.आर. दास और अन्य नेता INC से अलग हो गए।
स्वराज पार्टी का गठन।
अध्यक्ष: एम.के. गांधी
महात्मा गांधी की अध्यक्षता में आयोजित केवल एक सत्र।
अध्यक्ष: सरोजिनी नायडू, पहली भारतीय महिला अध्यक्ष।
अध्यक्ष: डॉ. एम.ए. अंसारी
चीन, ईरान और मेसोपोटामिया में भारतीयों को इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।
साइमन कमीशन के बहिष्कार के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया।
पूर्ण स्वराज पर संकल्प को अपनाया।
अध्यक्ष: मोतीलाल नेहरू
अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस का गठन।
अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
‘पूर्ण स्वराज’ पर प्रस्ताव पारित किया।
पूर्ण स्वतंत्रता के लिये सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया जाना।
26 जनवरी को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा।
अध्यक्ष: वल्लभभाई पटेल
मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प।
गांधी-इरविन समझौते का समर्थन।
महात्मा गांधी लंदन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में INC का प्रतिनिधित्व करने के लिये नामांकित।
अध्यक्ष: राजेंद्र प्रसाद
कॉन्ग्रेस के संविधान में संशोधन।
अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू द्वारा समाजवादी विचारों को प्रोत्साहन दिया जाना।
अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
किसी गाँव में होने वाला पहला अधिवेशन।
अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस
जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्त्व में राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना।
अध्यक्ष: राजेंद्र प्रसाद
सुभाष चंद्र बोस को फिर से चुना गया लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
उनकी जगह राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था।
सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया।
राष्ट्रपति: अबुल कलाम आज़ाद
यह अवधि विभिन्न घटनाओं अर्थात्- भारत छोड़ो आंदोलन, आरआईएन म्युटिनी और आईएनए द्वारा प्रभावित।
क्रिप्स मिशन, वेवेल योजना और कैबिनेट मिशन जैसी संवैधानिक वार्ताओं का चरण।
इस चरण के दौरान इन घटनाओं के कारण कॉन्ग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
अध्यक्ष: जेबी कृपलानी
आज़ादी से पहले का आखिरी सत्र।
जे.बी. कृपलानी स्वतंत्रता के समय INC के अध्यक्ष थे।
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