श्रीनगर, छह दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में नवनिर्वाचित उमर अब्दुल्ला सरकार को अपने कार्यकाल के दो महीने से भी कम समय में कई प्रशासनिक मुद्दों को लेकर राजभवन के साथ मतभेदों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2018 में केंद्रीय शासन लागू होने के बाद से राज्यपाल और वर्तमान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सभी प्रशासनिक शक्तियां अपने पास रखीं हैं।
हालांकि 16 अक्टूबर को निर्वाचित सरकार के सत्ता में आने के बाद रुख में बदलाव देखा गया।
संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत उपराज्यपाल अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और कानून प्रवर्तन के साथ-साथ अन्य जिम्मेदारियों पर भी अधिकार रखते हैं।
उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा हाल ही में उठाये गये कुछ कदमों, खास तौर पर जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादलों ने प्रशासनिक खींचतान को बढ़ावा दिया।
सूत्रों ने बताया कि आईएएस अधिकारियों के कुछ तबादले उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं लेकिन निर्वाचित सरकार ने उपराज्यपाल द्वारा आदेशित जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारियों के तबादले पर कड़ी आपत्ति जताई है।
सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल्ला सरकार और राजभवन दोनों ही कार्य नियमों के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना का इंतजार कर रहे हैं ताकि जम्मू-कश्मीर में सुचारु शासन की सुविधा हो सके।
भाषा जितेंद्र रंजन
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