नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) मुस्लिम सगंठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) ने केंद्र सरकार से ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह) के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि चुनाव में नफरती बयान देने पर राजनीतिक दलों का पंजीकरण व उम्मीदवारों का नामांकन रद्द किया जाना चाहिए।
संगठन ने एक बयान में कहा कि नफरती घटनाएं “गांधी(महात्मा गांधी) और नेहरू (पंडित जवाहर लाल नेहरू) के भारत के लिए शर्मनाक हैं।”
जमीयत की महासभा की राष्ट्रीय राजधानी में दो दिवसीय बैठक के पहले दिन नफरती अभियान और ‘इस्लामोफोबिया’ से मुकाबला करने और फलस्तीन में इज़राइल की “दमनकारी सरकार द्वारा जारी नरसंहार” पर प्रस्ताव पारित किए गए।
बयान के मुताबिक, महासभा को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख और राज्यसभा के पूर्व सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करना और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार देश के लिए “हानिकारक” है तथा इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “हमारे प्यारे देश की छवि धूमिल हो रही है।”
उन्होंने सरकारी संस्थानों में भर्ती पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं, क्योंकि “व्यवस्था से बाहर रह कर भेदभावपूर्ण रवैये से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल काम है।”
मौलाना मदनी ने नफरत का मुकाबला प्यार से करने पर जोर देते हुए कहा कि सभी वर्गों के साथ संवाद और आपसी समन्वय को बढ़ावा देना समय की मांग है और गलफहमियों को दूर किया जाना चाहिए।
महासभा में ‘इस्लामोफोबिया’ के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग करते हुए दावा किया गया है कि देश को ‘इस्लामोफोबिया’ और मुसलमानों के खिलाफ घृणा और उकसावे का रोग लग गया है।
संगठन के बयान के मुताबिक, प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि इन बातों को देश की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है और “विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, देश के नागरिक समाज की रिपोर्ट और उच्चतम न्यायालय की चेतावनी के बावजूद जिस प्रकार देश को हिंदू-मुस्लिम और दलितों के बीच बांटने का प्रयास किया जा रहा है, वह गांधी और नेहरू के भारत के लिए शर्मनाक है।”
प्रस्ताव में मांग की गई है कि नफरती भाषण और घृणा अपराधों की रोकथाम के लिए एक ठोस और मजबूत कार्य-योजना तैयार की जाए तथा चुनाव के दौरान जिन पार्टियों की ओर से नफरती बयान दिए जाते हैं, उनकी कानूनी मान्यता समाप्त की जाए और अगर किसी उम्मीदवार ने ऐसे बयान दिए हैं, तो उसकी उम्मीदवारी रद्द की जाए।
महासभा ने गाज़ा में इज़राइल-हमास जंग को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया है जिसमें वहां जारी “नरसंहार” पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सभी देशों, खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और भारत से मांग की गई है कि “कब्जा करने वाले शासकों को हथियार और गोला-बारूद का निर्यात बंद किया जाए।”
इसमें कहा गया है कि जो देश इज़राइल को हथियार और राजनीतिक सहायता प्रदान करते हैं, वे भी इस “नरसंहार” में समान रूप से हिस्सेदार हैं।
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