जयपुर, 16 दिसंबर (भाषा) जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने उस इमारत को सोमवार को अस्थाई तौर पर जांच के लिए सील कर दिया जिसमें पढ़ रहे कुछ छात्र-छात्राएं रविवार को अचानक बेहोश हो गए थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यहां गोपालपुरा बाईपास पर स्थित इस संस्थान में पढ़ रहे कुछ छात्र-छात्राओं ने अचानक सांस लेने में परेशानी व तेज सिरदर्द की शिकायत की थी।
राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने जहां सम्बद्ध कोचिंग संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने और पीड़ितों को मुफ्त इलाज और मुआवजा देने की सिफारिश की है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार से कोचिंग संस्थानों को प्रताप नगर स्थित नवनिर्मित कोचिंग हब में स्थानांतरित करने की मांग की है।
रविवार शाम हुई इस घटना में कोचिंग संस्थान की क्लास में बैठे सात विद्यार्थी बेहोश हो गए और कुछ अन्य बीमार पड़ गए। उन्हें अचानक सांस लेने में तकलीफ और तेज सिरदर्द की शिकायत हुई। इसको लेकर अफरा-तफरी मच गई और छात्र आनन-फानन में इमारत से बाहर निकल गए।
बेहोश विद्यार्थियों को पास के अस्पताल ले जाया गया।
जयपुर ग्रेटर नगर निगम के मानसरोवर जोन के उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि निगम और एफएसएल की एक टीम आज घटना की जांच के लिए कोचिंग संस्थान पहुंची।
उन्होंने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर टीम ने कल शाम सीवेज लाइन की जांच की, लेकिन वह सही पाई गई और प्रथम दृष्टया वहां से कोई जहरीली गैस नहीं निकली।
कटारा ने कहा, “आज इमारत को अस्थायी रूप से सील कर दिया गया, ताकि विस्तृत जांच की जा सके। उपायुक्त ने जांच के लिए छह सदस्यीय समिति गठित की है।”
पुलिस के अनुसार, यह घटना संभवतः गटर से निकलने वाली गैस या संस्थान की छत पर बने किचन से निकलने वाले धुएं के कारण हुई है।
राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जीआर मूलचंदानी ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और राज्य सरकार से प्रभावित विद्यार्थियों को उचित एवं निशुल्क चिकित्सा सुविधा और मुआवजा प्रदान करने तथा कोचिंग संस्थान के प्रबंधन के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने को कहा। मूलचंदानी ने मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घटना को चिंताजनक बताया है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,“कल रात जयपुर में एक कोचिंग संस्थान में हुई दुर्घटना चिंताजनक है। इस दुर्घटना में घायल हुए विद्यार्थियों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”
गहलोत के अनुसार, कोचिंग संस्थानों में ऐसी दुर्घटनाएं कभी भी बड़ा रूप ले सकती हैं क्योंकि यहां क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है जो उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय कोचिंग संस्थानों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए थे एवं सोच-समझकर प्रतापनगर में कोचिंग हब बनाया गया था।
कांग्रेस नेता ने कहा, “यह वर्तमान राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि कोचिंग संस्थानों के उचित प्रबंधन के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों को लागू करे एवं अविलंब सुनिश्चित करे कि सारे कोचिंग संस्थान पिछली सरकार द्वारा बनाए गए कोचिंग हब में स्थानांतरित किए जाएं।”
जयपुर के गोपालपुरा बाईपास और आसपास के इलाकों में कई कोचिंग संस्थान हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्र पढ़ते हैं। ये संस्थान इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज प्रवेश परीक्षा, सिविल सेवा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं।
इस बीच, कोचिंग में पढ़ने छात्रों ने आरोप लगाया कि मामले को दबाया जा रहा है और उन्होंने संस्थान के भवन के बाहर धरना दिया।
एक छात्र ने संवाददाताओं से कहा, ‘कल छात्रों की संख्या आम दिनों की तुलना में कम थी। अचानक छात्रों को घुटन महसूस हुई और छह-सात छात्र बेहोश हो गए। घबराहट में छात्र बाहर भागे और बेहोश छात्रों को कक्षा से बाहर निकाला। हमने सड़क पर वाहनों को रोका और उनकी मदद से उन्हें अस्पताल पहुंचाया।’
उसके अनुसार, घटना के समय क्लास में करीब 350 छात्र थे। यह कोचिंग संस्थान महेश नगर थाने के अंतर्गत आता है। कोचिंग संस्थान से थाना कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को नियंत्रित किया।
कल रात एनएसयूआई के कुछ नेता भी मौके पर पहुंचे और कोचिंग छात्रों के साथ धरने में शामिल हो गए। उनकी पुलिसकर्मियों के साथ नोकझोंक भी हुई।
भाषा पृथ्वी नोमान
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