आईयूएमएल ने केरल सरकार से मुनंबम भूमि मुद्दे को सुलझाने के लिए केरल सरकार से हस्तक्षेप की मांग की

आईयूएमएल ने केरल सरकार से मुनंबम भूमि मुद्दे को सुलझाने के लिए केरल सरकार से हस्तक्षेप की मांग की

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  • Publish Date - November 2, 2024 / 05:08 PM IST,
    Updated On - November 2, 2024 / 05:08 PM IST

कोझिकोड (केरल), दो नवंबर (भाषा) इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेता पी के कुन्हलीकुट्टी ने शनिवार को मुनंबम भूमि मुद्दे को सुलझाने के लिए केरल सरकार से हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि मुस्लिम संगठन उनके फैसले का समर्थन करेंगे।

आईयूएमएल महासचिव कुन्हलीकुट्टी ने कहा कि तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि किसी भी प्रकार की देरी से सांप्रदायिक संगठनों को खास समुदायों को निशाना बनाकर विभाजनकारी भावनाओं को बढ़ावा देने का मौका मिल जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल यह एक तकनीकी मुद्दा है और इसमें स्थानीय निवासी किसी भी तरह से दोषी नहीं हैं। वी एस अच्युतानंदन के मुख्यमंत्री रहते हुए तकनीकी गड़बड़ियां हुई थीं। राज्य सरकार को इस समस्या को सुलझाने के लिए आगे आना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि सरकार एक दिन में मुनंबम भूमि मुद्दे को सुलझा सकती है।

आईयूएमएल नेता ने कहा कि आईयूएमएल प्रदेश अध्यक्ष पनक्कड सादिकली शिहाब थांगल द्वारा शुक्रवार को बुलायी गयी मुस्लिम संगठनों की बैठक में आम राय यह थी कि सरकार को इस मुद्दे का अदालत के बाहर समाधान करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

उनका यह बयान भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर (केरल में सत्तारूढ़) वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और (विपक्षी) संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के रुख को लेकर ईसाई आबादी के एक बड़े हिस्से में बढ़ती नाराजगी के बीच आया है।

दोनों ही मोर्चो ने भाजपा नीत केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का विरोध करते हुए हाल में विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। यह संशोधन विधेयक मौजूदा वक्फ कानून के प्रावधानों को चुनौती देता है।

इस विधेयक का समर्थन करते हुए गिरजाघर ने आरोप लगाया है कि एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों में पीढ़ियों से ईसाई परिवारों से जुड़ी रहीं कई संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने मौजूदा अधिनियम के प्रावधानों की मदद से अवैध दावा किया है।

एर्णाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों के लोगों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनकी जमीन और संपत्तियों पर अवैध रूप से दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज (बयनामा) और भूमि कर भुगतान रसीदें हैं।

इसका विरोध कर रहे निवासियों के अनुसार, उनकी जमीन 1950 में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए फारूक कॉलेज कोझिकोड को दी गई थी।

उनका कहना है कि यह वक्फ की जमीन नहीं थी और उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को जमीन के लिए पैसे दिये थे।

संपत्ति विवाद से जुड़ा यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।

विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी का घोषित रुख यह है कि मुनंबम में विवादास्पद भूमि वक्फ बोर्ड की नहीं है और सरकार यदि वास्तव में चाहे तो 10 मिनट के भीतर इस मुद्दे को सुलझा सकती है।

भाषा राजकुमार रंजन

रंजन