नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) इतिहासकार और लेखक एस इरफान हबीब ने शुक्रवार को कहा कि धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़ना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि ऐसा करने से समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के मामले में देखा गया है।
हबीब यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘साहित्य आज तक’ कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर ‘धर्म और भारतीय राष्ट्रीयता’ सत्र में लेखक रतन शारदा के साथ परिचर्चा कर रहे थे।
हबीब ने कहा, ‘‘ धर्म का अपना अलग स्थान है, इसे राष्ट्रवाद से जोड़ना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि अगर आप एक हजार साल का इतिहास देखें तो कई समुदायों ने एक या दो बार अपना धर्म बदला, लेकिन उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता नहीं बदली। और अगर आप पिछले 50 सालों पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि धर्म के नाम पर हमारे राष्ट्र का विभाजन हुआ। और इस्लाम के नाम पर जो राष्ट्र बना, वह 25 साल भी एक नहीं रह सका।’’
‘जिहाद ऑर इज्तिहाद: रिलीजियस ऑर्थोडॉक्सी एंड मॉडर्न साइंस इन कंटेम्पररी इस्लाम‘ के लेखक हबीब ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश संस्कृति और भाषा के आधार पर विभाजित हैं, जबकि उनका धर्म एक ही है।
उन्होंने कहा, ‘‘… एक देश में कई धर्म हो सकते हैं और यदि आप धर्म के आधार पर देश का निर्माण करते हैं तो आपके सामने ढेर सारी समस्याएं खड़ी होने जा रही हैं।’’
इस बीच शारदा ने कहा कि इस्लाम, ईसाई और वैष्णव भले ही अलग-अलग धार्मिक समुदाय हों, लेकिन उन सभी का मानवता के धर्म से संबंध हैं। भारत में अलग-अलग संप्रदाय और समुदाय हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘‘हम सभी का एक ही धर्म है।’’
भाषा
राजकुमार सुभाष
सुभाष