भावी पीढ़ी की नींव रखना पुस्तकालयाध्यक्षों की जिम्मेदारी है: शाह

भावी पीढ़ी की नींव रखना पुस्तकालयाध्यक्षों की जिम्मेदारी है: शाह

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  • Publish Date - November 1, 2024 / 09:20 PM IST,
    Updated On - November 1, 2024 / 09:20 PM IST

(फोटो के साथ)

अहमदाबाद, एक नवंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पुस्तकें और पुस्तकालय व्यक्ति के बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भावी पीढ़ी की नींव रखना पुस्तकालयाध्यक्षों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने पुस्तकालयाध्यक्षों से लोगों में पढ़ने की आदत डालने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया और पाठकों की संख्या बढ़ाने का संकल्प लेने को कहा।

उनके कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि दिवाली के मौके पर अपने गृह राज्य गुजरात के दौरे पर आए शाह ने अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में सरकारी और ट्रस्ट (न्यास) द्वारा संचालित पुस्तकालयों के पुस्तकालयाध्यक्षों को संबोधित किया।

शाह ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि गुजराती साहित्य और भाषा की समृद्ध विरासत समय के साथ लुप्त न हो जाए।

उन्होंने कहा कि पुस्तकालयाध्यक्षों को मशीनी तरीके से काम करने के बजाय पाठकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाना चाहिए और पढ़ने की संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए, खासकर बच्चों और युवाओं के बीच।

उन्होंने पुस्तकालयाध्यक्षों से आग्रह किया कि वे दो नवंबर से शुरू हो रहे गुजराती नववर्ष पर अपने-अपने पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि करने का संकल्प लें।

शाह ने कहा कि पुस्तकें समाज और देश के वर्तमान और भविष्य दोनों को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पुस्तकें व्यक्ति के बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और पुस्तकालय भावी पीढ़ी को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पढ़ना किसी भी समाज और देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भविष्य स्कूलों में छात्रों की संख्या से नहीं बल्कि पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या से निर्धारित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और पढ़ने के अलग-अलग उद्देश्य हैं और इन्हें अलग-अलग रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सफल व्यक्ति बनना बहुत आसान है लेकिन केवल पढ़ाई ही किसी को बौद्धिक व्यक्ति बना सकती है।

इस मौके पर शाह ने अपने स्कूल के दिनों को याद किया और उपस्थित लोगों को बताया कि गांधीनगर जिले में उनके गृहनगर मानसा में स्थित एक पुस्तकालय ने उनके व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक पाठक की पढ़ने की प्राथमिकताओं का विश्लेषण करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जाना चाहिए तथा यह भी बताया जाना चाहिए कि पुस्तकालयाध्यक्ष किस प्रकार पाठकों की पुस्तकों में रुचि बनाए रख सकते हैं।

भाषा

देवेंद्र संतोष

संतोष