बेंगलुरु, 19 नवंबर (भाषा) अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुखों ने मंगलवार को कहा कि भारत को अपने नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-एन2 को अमेरिकी धरती से प्रक्षेपित करने के लिए अरबपति एलन मस्क द्वारा स्थापित ‘स्पेसएक्स’ पर निर्भर रहना पड़ा, क्योंकि उसके मौजूदा प्रक्षेपण वाहनों में 4,000 किलोग्राम से अधिक भार ले जाने की क्षमता नहीं है।
‘स्पेसएक्स’ ने 4,700 किलोग्राम वजनी जीसैट-एन2 हाई-थ्रूपुट (एचटीएस) उपग्रह को फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए वांछित कक्षा में स्थापित किया।
इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने कहा कि 4,700 किलोग्राम वजन वाला जीसैट-एन2 क-बैंड उच्च प्रवाह क्षमता (थ्रूपुट) वाला संचार उपग्रह है, जो भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं और उड़ान के दौरान कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘(स्पेसएक्स द्वारा प्रक्षेपित) उपग्रह इसरो के प्रक्षेपण यान की क्षमता से अधिक भारी था, इसीलिए इसे प्रक्षेपण के लिए बाहर भेजा गया।’’
उनके अनुसार, इसरो की क्षमता चार टन है जबकि जीसैट-एन2 का वजन 4.7 टन है।
सिवन ने कहा, ‘‘इसरो की क्षमताओं को बढ़ाने की योजनाएं हैं और इस संबंध में गतिविधियां जारी हैं।’’
उन्होंने बताया कि जीसैट-एन2 भारत को उच्च बैंड संचार सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे इसकी पहुंच देश के सुदूरतम भागों तक हो सकेगी।
इसरो के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भारत ने 4.7 टन वजनी उपग्रह को ले जाने के लिए बड़े प्रक्षेपण यान का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि यहां ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसरो की योजना अगली पीढ़ी के वाहनों की क्षमता को दोगुना करने की है, लेकिन जीसैट-एन2 के प्रक्षेपण के लिए हम ऐसा होने का इंतजार नहीं कर सकते थे, इसलिए इसरो ने ‘स्पेसएक्स’ का विकल्प चुना।’’
भाषा सुरभि अविनाश
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