तीन तलाक पीड़ित इशरत जहां और उनकी वकील नाज़िया बीजेपी में शामिल

तीन तलाक पीड़ित इशरत जहां और उनकी वकील नाज़िया बीजेपी में शामिल

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  • Publish Date - January 4, 2018 / 12:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

कोलकाता, पश्चिम बंगाल। तीन तलाक बिल को लेकर राज्यसभा में भले ही फिलहाल पेंच फंसा दिख रहा है, लेकिन इसे लेकर भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के बीच पैठ बनाने में मदद मिलती दिख रही है। तीन तलाक की पीड़ित इशरत जहां ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, अब उनकी वकील और सामाजिक कार्यकर्ता नाज़िया इलाही ख़ान भी बीजेपी में शामिल हो गई हैं।  

दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि तीन तलाक विधेयक से मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलने वाला है, बल्कि फायदा से ज्यादा नुकसान ही होगा क्योंकि भाजपा सरकार का ये विधेयक दोषपूर्ण है।  तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने अहमदपुर में एक सभा में कहा कि भाजपा इस विधेयक को लेकर निचले स्तर की राजनीति कर रही है. ममता ने दावा कि उनकी तृणमूल कांग्रेस देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसकी एक तिहाई सांसद महिलाएं हैं।

उधर, राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक में संशोधनों को लेकर विपक्ष के अड़े होने के कारण सत्तापक्ष पशोपेश में है। भाजपा चाहती है कि इस विधेयक को जिस रूप में लोकसभा में पारित कराने में विपक्ष ने सहयोग दिया, उसी तरह इसे राज्यसभा में भी पारित कराने में मदद करे। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि इसके कुछ प्रावधान मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं हैं, इसलिए इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। टीडीपी एनडीए में है, लेकिन वो भी संशोधन के पक्ष में दिख रही है। इसे लेकर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार बिखरी हुई दिख रही है, जबकि विपक्ष एकजुट है।

राज्यसभा में बहस के दौरान तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई। तृणमूल सांसद ब्रायन ने कहा कि विपक्ष महिला सशक्तिकरण के पक्ष में है और सरकार का मुखौटा उतर गया है। इसपर स्मृति इरानी ने जवाब दिया कि ऐसा बिल्कुल नहीं है, अगर विपक्ष वास्तव में महिला सशक्तिकरण चाहता है तो तीन तलाक पर अभी बहस होनी चाहिए।

इस बीच, मुरादाबाद की तीन तलाक पीड़िता वारिशा ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वो मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सर्वसम्मति से पारित कराएं। वारिशा को उसके पति ने दहेज में कार नहीं मिलने पर तीन तलाक दे दिया था, उनका कहना है कि तलाक-तलाक-तलाक कहकर छोड़ दिया जाता है, एफआईआर दर्ज कराने पर कोई सुनवाई नहीं होती है, ऐसे में मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए कड़ा कानून बनना ही चाहिए।

वेब डेस्क, IBC24