International Domestic Workers Day : सरकार लाख कानून बना ले, फिर भी महिलाओं पर आपराधिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। लगातार रेप और गैंगरेप की घटनाएं सामने आ रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर ऐसी ही कुछ खबरे सामने आई हैं। दिल्ली के पॉश एरिया बसंत कुंज की कोठियों में काम करने वाली शमा कहती हैं कि बाली उम्र में घरवालों ने बिहार के मधेपुरा जिला में शादी कर दिया। ससुराल पहुंची तब पता चला कि पति कोई काम नहीं करता। शराब पीकर मुझे पीटता रहता था। साल 2004 में पति को लेकर दिल्ली चली आई। अपना और बच्चों का पेट पालने के लिए घरों में काम करने लगी।
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मेरी छरहरा शरीर को देखकर मालिक की गंदी नजरें मुझ पर टिक जाती थी। वह पानी देने और ग्लास लुढ़कने पर सफाई करने के बहाने बुलाता था। गलत जगह छूने की कोशिश करता था। मैं डरकर भाग जाती थी। एक दिन मालकिन घर में नहीं थी। उस दिन मेरे साथ जबरदस्ती हुई। खूब रोई। अगले दिन काम छोड़ दिया।
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वाहिना कहती है कि मेरा पति मुझ पर ही शक करता था और पीटता था। मालकिन काम से निकाल देती थी। बच्चों का चेहरा देखा तो काम से निकाले जाने और जल्दी से दूसरी जगह काम न मिलने का ख्याल आया। फिर बच्चों का क्या होगा, यह सोचकर ही कलेजा कांप गया। आखिर में पेट की भूख के आगे इज्जत हार गई।
International Domestic Workers Day : रिया कहती हैं कि मां के बीमार होने पर स्कूल छोड़कर उनकी जगह मुझे काम पर जाना पड़ा। तब से आज तक काम ही कर रही हूं। जब जवान थी, तब मालिकों की बीवियां मुझ पर शक करती। अच्छे कपड़े पहनने, लिपस्टिक और बिंदी लगाकर जाने पर गालियां पड़तीं। मालिकों पर डोरे डालने के इल्जाम लगते, लेकिन क्या करती। घर चलाने के लिए सब सुनना पड़ता था।
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