(कुमार राकेश)
बारामती, 16 नवंबर (भाषा) चमचमाती दुकानों और बढ़िया सड़कों वाले बारामती निर्वाचन क्षेत्र में अब तक के सबसे आक्रामक प्रचार अभियान के बीच अजित पवार के लिए यह करो या मरो की लड़ाई में बदल गया है जिनके विकास के एजेंडे का सामना शरद पवार की मतदाताओं से भावुक अपील से होगा।
एक किसान संदीप जगताप (32) ने कहा कि ‘दादा’ के नाम से मशहूर उपमुख्यमंत्री की खास तरह की छवि है और वह प्रचार अभियानों में ज्यादा वक्त देने की जहमत भी नहीं उठाते हैं।
उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘अब वह मुस्करा रहे हैं, झुक रहे हैं और हाथ जोड़कर हमारे वोट मांग रहे हैं।’’
जगताप के मित्र अमोल कुलांगे ने कहा कि चुनाव में पवार परिवार के सदस्यों की भी अप्रत्याशित भागीदारी देखी गई है, जो ज्यादातर शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार का समर्थन कर रहे हैं, जिन्हें उपमुख्यमंत्री से मुकाबले के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया है।
कुलांगे ने कहा कि शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार भी प्रचार अभियान में उतर आयी हैं जो पहले के चुनावों में ज्यादा दिखायी नहीं दीं और परिवार के अन्य सदस्य भी प्रचार अभियान में भाग ले रहे हैं।
‘साहेब’ के नाम से लोकप्रिय और प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार का पश्चिमी महाराष्ट्र में उनके गढ़ में सम्मान साफ तौर पर देखा जा सकता है। लेकिन उनसे अलग हो चुके उनके भतीजे अजित पवार का भी बारामती में कद ऊंचा है। शरद पवार ने छह बार बारामती का प्रतिनिधित्व किया है और 1991 में इस क्षेत्र की कमान अजित पवार को सौंप दी थी।
अजित पवार अब लगातार आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं और पार्टी के 40 विधायकों के साथ 2023 में अपने चाचा से अलग होने के बाद यह उनका पहला चुनावी मुकाबला है। उनके धड़े को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का दर्जा प्राप्त है।
शहर में एक शिक्षक श्रीकृष्ण बोरकर ने कहा कि वी पी कॉलेज समेत बारामती के विकास में अजित पवार का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि वी पी कॉलेज का बुनियादी ढांचा बहुत अच्छा है।
हालांकि, लोगों का एक वर्ग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने के लिए अपने चाचा की पार्टी ‘‘हथियाने’’ को लेकर अजित पवार की आलोचना करता है।
करीब 60 वर्ष की आयु के किसान मोहन अखाड़े ने दावा किया कि राकांपा के पक्के समर्थक कभी ‘साहेब’ को नहीं छाड़ेंगे। उन्होंने कहा कि शरद पवार ही थे जिन्होंने बारामती को विकास के मॉडल के रूप में पेश किया।
शरद पवार (83) से लोगों का भावनात्मक संबंध ही है कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हार का मुंह देखना पड़ा।
इस विधानसभा चुनाव में युगेंद्र पवार बेशक उपमुख्यमंत्री के खिलाफ राकांपा (एसपी) उम्मीदवार हैं लेकिन किसी को इसमें संदेह नहीं है कि यह लड़ाई साहेब और दादा के बीच है।
ऐसे मतदाता भी हैं जो कहते हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी के लिए सुले को वोट दिया था, जब उन्हें अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकटों में से एक का सामना करना पड़ा था और अब वे अजित पवार को उनके काम के लिए समर्थन देंगे।
अब सभी की निगाहें 18 नवंबर को बारामती में शरद पवार की जनसभा पर है। उसी दिन 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म हो जाएगा।
भाषा गोला रंजन
रंजन