Publish Date - May 29, 2020 / 02:29 PM IST,
Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST
नई दिल्ली: पूर्वी अफगानिस्तान और उससे लगे पाकिस्तान में मध्य क्षोभमंडल स्तर पर एक चक्रवाती प्रसार के रूप में पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। कम दबाव का क्षेत्र उत्तरपूर्व राजस्थान और आसपास में बना है तथा एक पूर्व-पश्चिम निम्न वायुदाब का क्षेत्र (गर्त) निचले क्षोभमंडल स्तर में उत्तरी मैदानी इलाकों में बना है। इसके प्रभाव से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र (जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) और उत्तर पश्चिम भारत के आसपास के मैदानी इलाकों में 28 से 31 मई 2020 के दौरान गरज के साथ छिटपुट से भारी वर्षा हो सकती है और इसी अवधि के दौरान मध्य प्रदेश में कई जगहों पर गरज के साथ छींटे/बारिश हो सकती है। 28 से 31 मई के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में गरज के साथ बिजली, ओलावृष्टि, आंधी/तेज हवाएं चल सकती हैं और 28 से 30 मई के दौरान ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धूल भरी आंधी/गरज/तेज हवाएं चलने की संभावना है। उपरोक्त मौसम के कारण कल, 29 मई 2020 से उत्तरपश्चिम और मध्य भारत के मैदानी इलाकों में चल रही लू और गंभीर लू की स्थिति समाप्त हो सकती है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मालदीव-कोमोरिन क्षेत्र के कुछ हिस्सों, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से, अंडमान सागर के शेष इलाकों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहों की तरफ आगे बढ़ा है। अगले 48 घंटों के दौरान मालदीव-कोमोरिन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं।
31 मई के करीब दक्षिण-पूर्व और आसपास के पूर्वमध्य अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना को देखते हुए 1 जून 2020 के आसपास केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पहुंचने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने की संभावना है।
पश्चिम-मध्य अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र और चक्रवाती प्रसार मध्य-क्षोभ मंडल स्तर तक बना हुआ है।
अगले 48 घंटों के दौरान इसके उसी क्षेत्र में डिप्रेशन में तब्दील होने की पूरी संभावना है। यह अगले 72 घंटों के दौरान उत्तर-पश्चिम की ओर दक्षिण ओमान और पूर्वी यमन तट की ओर बढ़ सकता है।
पूर्वी अफगानिस्तान और सटे हुए पाकिस्तान के ऊपर समुद्र स्तर से 5.8 और 7.6 किमी के बीच चक्रवाती प्रसार के रूप में पश्चिमी विक्षोक्ष बना हुआ है।
उत्तरपूर्व राजस्थान और आसपास के क्षेत्र के ऊपर औसत समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर तक साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवाती प्रसार) है।
यह विदर्भ से तमिलनाडु के अंदरूनी हिस्सों, तेलंगाना से रायलसीमा तक समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर तक फैला हुआ है।
दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे सटे दक्षिण श्रीलंका तट पर चक्रवाती प्रसार समुद्र तल से 3.1 और 4.5 किमी के बीच बना है।
पूर्व-पश्चिम कम दबाव का क्षेत्र पंजाब से उत्तर छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तर-पूर्व राजस्थान और उत्तर मध्य प्रदेश तक समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर बना हुआ है।
दक्षिण असम और आसपास के इलाकों में चक्रवाती प्रसार समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर तक बना है।
दक्षिण-पूर्व अरब सागर और उससे सटे मालदीव क्षेत्र में समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर चक्रवाती प्रसार बना हुआ है।