भारत की टैरिफ नीति का उद्देश्य व्यापार विनियमित करना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना: सरकार

भारत की टैरिफ नीति का उद्देश्य व्यापार विनियमित करना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना: सरकार

भारत की टैरिफ नीति का उद्देश्य व्यापार विनियमित करना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना: सरकार
Modified Date: April 1, 2025 / 02:57 pm IST
Published Date: April 1, 2025 2:57 pm IST

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि भारत की टैरिफ (प्रशुल्क) नीति का उद्देश्य व्यापार को विनियमित करना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना और आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं पर करों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करना है।

प्रसाद ने प्रश्नकाल में कांग्रेस सांसद के. नामदेव के एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार टैरिफ एवं भारत के आर्थिक विकास पर उसके प्रभाव के बारे में हाल ही में नीति आयोग द्वारा दिए गए बयानों से अवगत है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बयान आर्थिक विकास हासिल करने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को अधिक निवेश आकर्षित करने वाला देश बनाने की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।’’

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नामदेव ने पूरक प्रश्न पूछा था कि क्या सरकार नीति आयोग के हाल के बयान से अवगत है कि टैरिफ सुरक्षा से भारत को कोई लाभ नहीं है तथा आर्थिक विकास के लिए टैरिफ कम करना आवश्यक है।

प्रसाद ने कहा कि भारत की प्रशुल्क नीति का उद्देश्य व्यापार को विनियमित करना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना तथा आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं पर करों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल के सुधारों में प्रशुल्क संरचना को सुव्यवस्थित करने तथा व्यापार को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’’

मंत्री ने कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का सदस्य है और किसी वस्तु पर लागू किए जा सकने वाले उसके अधिकतम टैरिफ के प्रति बाध्य है।

उन्होंने कहा कि लागू टैरिफ आमतौर पर किसी वस्तु के लिए बाध्य प्रशुल्क से कम होता है।

उन्होंने कहा कि बदलते व्यापार परिदृश्य के साथ, भारत तरजीही/मुक्त व्यापार समझौतों (पीटीए/एफटीए) की ओर बढ़ रहा है, जिसमें पीटीए/एफटीए सदस्यों के बीच पर्याप्त व्यापार पर सीमा शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम या समाप्त किया जाता है।

वर्तमान में, भारत यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, ओमान, न्यूजीलैंड और पेरू के साथ वार्ता करने के अलावा 13 एफटीए और नौ पीटीए का सदस्य है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से इनपुट और मध्यवर्ती वस्तुओं पर टैरिफ कम करने से निर्माताओं को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलती है, घरेलू उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों को संतुलित करके प्रशुल्क उपायों पर निर्णय लेते समय एक ‘कैलिब्रेटेड’ दृष्टिकोण अपनाया जाता है।

प्रसाद ने कहा कि सरकार ने कई ऐसे सुधार किए हैं जिन्हें उत्पादन लागत को कम करने, घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि, कटौती के बावजूद, कुछ घरेलू उद्योग विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए उच्च प्रशुल्क की वकालत करते हैं।

प्रसाद ने कहा कि यह घरेलू विकास और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा दोनों का समर्थन करने के लिए प्रशुल्क नीतियों को संतुलित करने की चुनौती को रेखांकित करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत की हालिया टैरिफ कटौती से घरेलू विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी)/मोबाइल फोन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए महत्वपूर्ण लाभ हुआ है, जिसमें मार्च 2025 में, भारत ने ईवी बैटरी उत्पादन के लिए आवश्यक 35 वस्तुओं और मोबाइल फोन निर्माण के लिए 28 वस्तुओं पर आयात शुल्क समाप्त कर दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस कदम का उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और इन क्षेत्रों में निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। इसी तरह, महत्वपूर्ण खनिजों पर आयात शुल्क में कमी से इस क्षेत्र में निवेश आने की संभावना है।’’

भाषा वैभव सुरेश

सुरेश


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