देहरादून, 25 अक्टूबर (भाषा) देहरादून के निकट सुरम्य हिमालयी क्षेत्र में स्थित थानो गांव में शुक्रवार को देश के अपनी तरह के पहले ‘लेखक गांव’ का लोकार्पण किया गया।
यहां से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव का लोकार्पण पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से किया।
इस गांव की अवधारणा से लेकर उसका विकास उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने किया है जो स्वयं एक विशिष्ट साहित्यकार के रूप में भी पहचान रखते हैं। उनका दावा है कि इस गांव में लेखकों को अपनी कृतियों के सृजन के लिए जरूरी एक शांत और रचनाशील वातावरण मिलेगा।
इस अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव ‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024’ के दौरान निशंक द्वारा लिखी गयी लेखक गांव की पहली रचना ‘हिमालय में राम’ पुस्तक का भी विमोचन किया गया ।
इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति ने ‘लेखक गांव’ को लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचनाकर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर एक अभिनव पहल बताया और इसके लिए निशंक की सराहना की।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखंड में स्थित यह पहला लेखक गांव भविष्य का पर्यटक गंतव्य बनकर उभरेगा।
राज्यपाल ने कहा कि यह मंच उन लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नयी राह दिखाने का सामर्थ्य रखते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड अनेक विद्वान लेखकों की जन्मभूमि रही है और लेखक गांव के वातावरण में सृजनशीलता का प्रवाह अनेक लेखकों और कवियों को प्रेरित करेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड सदियों से रचनात्मकता का अद्भुत केंद्र रही है और यहां के पहाड़ों की विशालता, गंगा की पवित्रता और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य ने लेखकों, कवियों और विचारकों को प्रेरणा प्रदान करने का काम किया है।
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि लेखक गांव में महोत्सव में देश-विदेश से जुटे साहित्यकार और कलाकार अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे ।
समारोह में मौजूद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि सृजनात्मक माहौल के लिए लेखक गांव जैसा एकांत स्थान चाहिए जहां आप स्वयं के अस्तित्व में डूबकर मोती निकाल सकें।
निशंक ने बताया कि लेखक गांव में लेखन कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, कला दीर्घा, प्रेक्षागृह, योग-ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र, गंगा और हिमालय का मनमोहक संग्रहालय, भोजनालय आदि सभी व्यवस्थाएं की गयी हैं। उन्होंने कहा कि लेखक गांव में आकर लेखक एक ही स्थान पर प्रकृति, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान से साक्षात्कार कर विविध विषयों पर नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि 65 से अधिक देशों के लेखन, कला और संस्कृति से जुड़े लोग इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो रहे हैं जिनमें से 40 देशों से लोग यहां आए हैं। इनमें देश और दुनिया से आए छात्र भी शामिल हैं जो लेखकों से जुड़ना चाहते हैं।
भाषा
दीप्ति, रवि कांत रवि कांत