गुवाहाटी, 30 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि पिछले दशक में देश का विकास विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में प्रगति के कारण हुआ।
सिंह ने कहा कि युवाओं को सशक्त बनाना और नवाचार को बढ़ावा देना राष्ट्र के लिए विकास लक्ष्यों को हासिल करने की कुंजी है।
गुवाहाटी में 10वें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ‘भारत के विकास की उल्लेखनीय कहानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में देश की प्रगति में गहराई से निहित है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखा है—स्टार्टअप के उभार से लेकर जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और क्वांटम विज्ञान में क्रांतिकारी सफलताओं तक।
उन्होंने दावा किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो कभी विकास की परिधि पर था, आज विकास का एक चमकदार उदाहरण बन गया है, जिसमें आर्थिक प्रगति और वैज्ञानिक नवाचार दोनों शामिल है।
सिंह ने कहा, ‘जैसा कि हम इंडिया@2047 की ओर बढ़ रहे हैं, युवाओं को सशक्त बनाना और नवाचार को बढ़ावा देना अहम है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और बायोइकोनॉमी क्रांति जैसी पहल भारत को आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रही हैं, जिसमें युवा नवप्रवर्तक सबसे आगे हैं।’
चार दिवसीय विज्ञान महोत्सव का मकसद विभिन्न समुदायों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना है। इसके 10,000 छात्रों के साथ-साथ 8,000 से अधिक प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और अग्रणी वैज्ञानिक संगठनों को आकर्षित करने की उम्मीद है, ताकि सभी विषयों में सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिले।
महोत्सव में सिंह ने भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (आईएसटीआई) पोर्टल भी लॉन्च किया, जो एक केंद्रीकृत मंच है और भारत के पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार से संबंधित सामग्री के लिए एक व्यापक भंडार के रूप में काम करेगा।
इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने देश के विकास और समृद्धि में तेजी लाने के लिए मौजूदा समय में प्रौद्योगिकी, संसाधनों और पूंजी के एकीकरण के महत्व पर जोर दिया।
शर्मा ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी सबसे बड़ी परिवर्तनकारी शक्ति है… और इसका इस्तेमाल कर एक राष्ट्र संसाधन की कमी को दूर कर सकता है और पूंजी पर निर्भरता घटा सकता है। इससे सामाजिक समानता, गरीबी उन्मूलन और जीवन स्तर में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी, जिससे कृषि से लेकर उद्योग, बिजली, संचार और परिवहन तक सभी क्षेत्रों पर असर पड़ेगा।’
गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा और दर्शन में योगदान की भारत की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डालते हुए शर्मा ने कहा, ‘भारत वैज्ञानिक खोज का उद्गम स्थल रहा है। असम की भी एक समृद्ध विरासत है, जिसका प्राचीन नाम ‘प्रागज्योतिषपुर’ खगोल विज्ञान और ज्योतिष में इसके योगदान का प्रतीक है।’
भाषा पारुल पवनेश
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