लोकसभा में भारतीय पत्तन विधेयक पेश, प्रस्तावित कानून बंदरगाहों का विकास सुनिश्चित करेगा

लोकसभा में भारतीय पत्तन विधेयक पेश, प्रस्तावित कानून बंदरगाहों का विकास सुनिश्चित करेगा

लोकसभा में भारतीय पत्तन विधेयक पेश, प्रस्तावित कानून बंदरगाहों का विकास सुनिश्चित करेगा
Modified Date: March 28, 2025 / 05:35 pm IST
Published Date: March 28, 2025 5:35 pm IST

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में ‘भारतीय पत्तन विधेयक, 2025’ पेश किया। प्रस्तावित कानून 1908 के अधिनियम की जगह लेगा और इसके तहत एक समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) स्थापित किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को फरवरी में मंजूरी प्रदान की थी।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है, ‘‘प्रस्तावित कानून अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का प्रभावी ढंग से निर्वहन किये जाने को सुनिश्चित करेगा, जिससे हमारी घरेलू प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अधीनस्थ कानून बनाने के लिए पर्याप्त शक्ति मिलती है।’’

 ⁠

इसका उद्देश्य बंदरगाहों के विकास को एकीकृत करना है ताकि भारत के समुद्री तटों का बेहतर उपयोग किया जा सके।

विधेयक किसी प्रमुख बंदरगाह या इसके अलावा किसी अन्य बंदरगाह को अधिसूचना द्वारा ‘‘मेगा पोर्ट’’ के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान करता है।

इसमें केंद्र सरकार द्वारा एक समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।

विधेयक एक नये न्यायिक तंत्र के निर्माण का प्रावधान करता है जिसके लिए प्रत्येक राज्य सरकार को राज्य के भीतर प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह उपयोगकर्ताओं और बंदरगाह सेवा प्रदाताओं के अलावा अन्य बंदरगाहों के बीच उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एक विवाद समाधान समिति का गठन करने की आवश्यकता होगी।

​​यह बंदरगाहों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित शक्तियों को बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।

विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया और इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद के. राधाकृष्णन ने विधेयक को पेश किए जाने का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह राज्यों की शक्तियों पर अंकुश लगाता है और संघीय ढांचे पर हमला करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस विधेयक को वापस लेकर नया विधेयक लाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि इस विधेयक से कामगारों के अधिकारों पर असर पड़ेगा, इसलिए वह इसका विरोध करते हैं।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी जब विधेयक पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो माइक के बंद और चालू होने को लेकर सदन में नोकझोंक शुरू हो गई।

इसपर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन हमेशा नियमों से चलेगा।

इसके बाद, पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने विधेयक को सदन में पेश करने के लिए रखा, जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।

भाषा

हक हक सुभाष

सुभाष


लेखक के बारे में