भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई सोच की जरूरत: राहुल

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई सोच की जरूरत: राहुल

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  • Publish Date - December 1, 2024 / 08:08 PM IST,
    Updated On - December 1, 2024 / 08:08 PM IST

नयी दिल्ली,एक दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को भारत की जीडीपी वृद्धि दर के दो साल के निचले स्तर पर पहुंचने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि जब तक मुट्ठीभर अरबपतियों को इसका लाभ मिलता रहेगा, तब तक देश की अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर सकती।

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नई सोच की जरूरत है और व्यवसायों के लिए एक नया सौदा इसका अहम हिस्सा होना चाहिए।

गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “ सबको समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, तभी हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ेगा।”

उन्होंने कहा कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर दो साल में सबसे निचले स्तर 5.4 फीसदी पर पहुंच गई है।

कांग्रेस नेता ने कहा, “बात साफ है – भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती जब तक इसका लाभ केवल गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।”

कुछ तथ्य साझा करते हुए गांधी ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है क्योंकि खुदरा महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 फीसदी पर पहुंच गई है।

उन्होंने रेखांकित किया कि पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज की कीमत लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गई है।

विपक्ष के नेता ने कहा कि रुपया 84.50 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है तथा बेरोजगारी पहले ही 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है।

गांधी ने कहा, “पिछले पांच सालों में मज़दूरों, कर्मचारियों और छोटे व्यापारियों की आमदनी या तो ठहर गई है या काफी कम हो गई है।”

उन्होंने कहा, “आमदनी कम होने से मांग में भी कमी आई है। बेची गई कारों में 10 लाख से कम कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी घटकर 50 प्रतिशत से कम हो गई है, जो 2018-19 में 80 फीसदी थी।”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “कुल घरों की बिक्री में किफायती घरों की हिस्सेदारी घटकर करीब 22 प्रतिशत रह गई है, जो पिछले साल 38 फीसदी थी। एफएमसीजी उत्पाद की मांग पहले से ही कम होती जा रही है।”

उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर का हिस्सा पिछले 10 सालों में सात फीसदी कम हुआ है, जबकि आयकर 11 प्रतिशत बढ़ा है।

गांधी ने कहा कि नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की मार से अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा घटकर 50 वर्षों में सबसे कम सिर्फ 13 प्रतिशत रह गया है।

उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में नई नौकरियों के अवसर कैसे बनेंगे? इसके अलावा उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई सोच की आवश्यकता पर बल दिया।

भाषा नोमान संतोष

संतोष