नई दिल्लीः India would have developed country अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत को बड़ी सफलता मिली है। ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई हैं। कभी ब्रिटिश उपनिवेश रहा भारत 2021 के आखिरी तीन महीनों में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। बता दें कि यह गणना अमेरिकी डॉलर के आधार पर की गई है। वहीं भारतीय अर्थव्यस्था के पांचवे पायदान पर पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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India would have developed country यदि आजादी के समय से ही जिन लोगों के हाथ इस देश की सत्ता रही उन्होंने Nation First की नीति पर काम किया होता तो भारत दशकों पहले ही एक विकसित देश की कतार में खड़ा होता। आप यह कह सकते है कि भारत उस समय कमजोर था, गरीब था, इसलिए उसे विकास की राह पर रफ्तार पकड़ने में समय लगा। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1950 में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 1960 में वह लुढ़क कर आठवें और 1970 में 9वें और 1980 में तो वह टाप टेन की सूची से ही बाहर हो गई। नब्बे के दशक में थोड़ा सुधार हुआ मगर टॉप टेन की रैंकिंग में तब भी भारत बाहर ही था। दुनिया की ‘टाप टेन’ अर्थव्यवस्थाओं में भारत की वापसी पिछले दस वर्षों में हुई जब वह नवीं पायदान पर आया। आज 2022 में भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़कर दुनिया की ‘टॉप फ़ाइव’ इकोनोमी में पांचवी पायदान पर है।
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यानि पिछले 75 सालों में हम जहां से चले थे वहीं अब जाकर हम वापिस लौट पाए है। विशेषरूप से प्रधानमंत्री narendramodi के सत्ता में आने के बाद से अर्थव्यवस्था न केवल विकास दर बढ़ी है, बल्कि उसे पहले की तुलना में काफी Dynamic और Strong बनाया गया है। यह इसलिए संभव हुआ कि पिछले आठ वर्षों में जहां procedural reforms किए गए वहीं Structural reforms भी किए गए। पुराने पड़ चुके कानूनों को बदला गया। निवेश के लिए देश में अच्छा वातावरण बन सके इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रयास हुआ। अभी अगस्त में 1.43 लाख करोड़ का GST आया है। अनुमान है अक्टूबर में यह आंकड़ा डेढ़ लाख करोड़ पार कर जाएगा। आप सोच रहे होंगे कि Tax Collection कौन सी उपलब्धि है। मगर आपको याद रखना चाहिए कि Tax Collection से ही विकास की फंडिंग होती है। इससे देश और समाज का ही लाभ होता है। पहले लोग मानते थे कि अर्थव्यवस्था जैसी चीजों में केवल बड़े-बड़े पूंजीपति और कारोबारी ही Stake Holder होते है। पिछले साढ़े आठ सालों में प्रधानमंत्री narendramodi ने भारत के गरीब से गरीब आदमी भी इस देश की अर्थव्यवस्था में Stake Holder बनाया है।
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‘जनधन, आधार और मोबाइल’ की त्रिमूर्ति ने देश में Digital Economy को ऐसी मजबूती दी है कि दुनिया आश्चर्य कर रही है। आज भारत के digitalisation की रफ्तार तीस फीसदी से अधिक है जो विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है। बैंक में खाता खुल जाने से भारत के गरीबों को हर योजना, हर सब्सिडी का लाभ सीधा अपने खाते में मिल गया। Direct Benefit Transfer की यह येाजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है। इस देश में एक वल्र्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर बने इस दिशा में काम चल रहा है। आज इस तरह की इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइप लाइन संभवत: चीन को छोड़ कर कहीं और नही है। वहां भी अभी स्लो डाऊन चल रहा है। कल्पना कीजिए कि जिस भारत देश में 2014 में बमुश्किल 400-500 स्टार्ट अप्स थे वहीं केवल आठ वर्षों के भीतर 75000 से अधिक स्टार्ट अप्स मजबूती के साथ खड़े हो गए है। इनमें से करीब सौ से अधिक तो एक बिलियन डालर की Valuation के कारण दुनिया भर में ‘यूनिकार्न’ के रूप में जाने जा रहे हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था को Dynamic और Efficient बनाने का ही परिणाम है कि आज जब दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देश, रिकार्ड महंगाई की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं भारत की महंगाई की दर बेकाबू नही होने पाई है। आज ब्रिटेन में 18 फीसदी के आस-पास महंगाई है। अमेरिका में यह महंगाई दर 9-10 फीसदी है। इन देशों की जनता ने दशकों से महंगाई के दर्शन नही किए थे। जबकि भारत में महंगाई की दर अगस्त में 7 फीसदी रही है। भारत जैसे विकासशील देश में महंगाई पर काबू रखने और आर्थिक सुधार करने का ही परिणाम है कि आज विदेशी निवेशक भारत की तरफ, दौड़े-दौड़े चले आ रहे है।2021-22 में 83 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया। अभी केवल अगस्त महीने में 6 बिलियन डालर का विदेशी निवेश तो केवल भारत के स्टाक मार्केट्स में आया है। जब दुनिया के बाजारों में मंदी की आशंका जोर पकड़ रही है, भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया की उम्मीदों का केन्द्र बना हुआ है।
पहली तिमाही के आंकड़े आ गए है और भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 13.6 फीसदी निकल कर आई है। दुनिया के विशेषज्ञ हैरान है कि जहां दुनिया में विकास का सूखा पड़ा हुआ है भारत में GDP झण्डे गाड़ रहा है। मगर हम इतनी सफलता के बावजूद अपने प्रयासों को और तेज कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें भी हमारी नीति है सर्वोपरि भारत। भारत का पूरा Missile Programme इस बात का गवाह है कि यदि भारत के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ ठान लें तो Complex Technologies के मामले में भी हम आत्मनिर्भर हो सकते है। इस देश में भी आधुनिक रक्षा सामग्रियां बन सकती है। यह भरोसा मुझे तो है ही, साथ ही हमारे प्रधानमंत्री जी को भी है। मेरा मानना है कि अगले दस वर्षों में जल, थल, नभ और अन्तरिक्ष में कारगर Defence Platforms बनाने की क्षमता इस देश में है।
आज पूरे विश्व में यह बात चल पड़ी है कि दुनिया का 'Manufacturing Hub' किसी एक देश में ही नही होना चाहिए। अभी तक ज्यादातर Manufacturing चीन में हो रही थी। मगर बदली हुर्इ परिस्थितियों में बड़ी MNCs अपनी मैन्यूफैक्चरिंग करने के लिए नए ठिकाने ढूंढ रही हैं : रक्षा मंत्री
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) September 16, 2022
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अभी आपने देखा कि कैसे भारत ने INS विक्रांत के रूप में एक स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है। इस जहाज में 76 फीसदी Indigenous Content है। एक समय था जब देश में महज 1900 करोड़ रूपए के Defence Exports होते थे आज यह Exports तेरह हजार करोड़ से अधिक की धनराशि पार कर चुके है। लक्ष्य है कि 2024-25 तक भारत में सिर्फ Defence Sector में करीब 1.75 लाख करोड़ का कारोबार हो सके और कम से कम पांच बिलियन डॉलर के निर्यात हों। आज पूरे विश्व में यह बात चल पड़ी है कि दुनिया का ‘Manufacturing Hub’ किसी एक देश में ही नही होना चाहिए। अभी तक ज्यादातर Manufacturing चीन में हो रही थी। मगर बदली हुर्इ परिस्थितियों में बड़ी MNCs अपनी मैन्यूफैक्चरिंग करने के लिए नए ठिकाने ढूंढ रही हैं। अब जब Global Economy अपनी Manufacturing को Decentralise करने के लिए नए Options की तलाश कर रही है, तो भारत उस तलाश को न केवल पूरा करता है बल्कि यह उम्मीद भी जगाता है कि यह ‘Manufacturing Shift’ पूरी ‘Global Economy को नई Lift’ भी देने की क्षमता रखता है।