भारत 2047 में दुनिया का नेतृत्व करेगा : जगदीप धनखड़

भारत 2047 में दुनिया का नेतृत्व करेगा : जगदीप धनखड़

भारत 2047 में दुनिया का नेतृत्व करेगा : जगदीप धनखड़
Modified Date: August 27, 2023 / 10:35 pm IST
Published Date: August 27, 2023 10:35 pm IST

( तस्वीरों के साथ )

जयपुर, 27 अगस्त (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि युवा पीढ़ी की ‘‘प्रतिबद्धता, दिशात्मक दृष्टिकोण और समाज के प्रति सेवा भाव’’ के परिणामसवरूप भारत 2047 तक दुनिया में शीर्ष पर होगा।

झुंझुनू जिले के सैनिक स्कूल में एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2047 में जब देश स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा तो वह दुनिया का नेतृत्व कर रहा होगा।

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धनखड़ ने कहा, ‘‘आप देश का भविष्य हैं, आप इस देश को आकार देंगे। लेकिन बच्चों आप भाग्यशाली हैं। आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में यहां हैं जब भारत अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है, भारत का उत्थान अजेय है, जब हम 2047 में अपनी आजादी की शताब्दी मनाएंगे तो हम दुनिया में पहले स्थान पर होंगे।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘और यह संभव कैसे होगा? आप लोग इसे संभव बनाएंगे। आपकी प्रतिबद्धता, आपका दिशात्मक दृष्टिकोण, समाज के प्रति आपकी सेवा भारत को हमेशा गौरवान्वित करेगी।’’

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग का हवाला देते हुए कहा, धनखड़ ने कहा कि ‘‘इतिहास रचा गया।”

उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग हुई। सफल लैंडिंग। इतिहास रचा गया! भारत यह गौरव हासिल करने वाले चार देशों में से एक बन गया, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का सम्मान पाने वाला दुनिया का एकमात्र देश है।’

धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहा कि वे असफलताओं से कभी ना डरें।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान चन्द्रयान-2 की विफलता का उदाहरण देते हुए धनखड़ ने कहा कि तब लैंडिंग सही नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री ने मिशन में 96 प्रतिशत सफलता के लिए इसरो को बधाई दी।

उन्होंने कहा, ‘‘असफलता से कभी ना डरें। असफलता का डर आपकी ताकत को काफी कम कर देता है। कभी भी तनाव मत लो… तुम बहुत बेहतर प्रदर्शन कर पाओगे। सैनिक स्कूल में, मैं हमेशा कक्षा में अव्वल रहता था। लेकिन मुझे हमेशा डर लगा रहता था अगर मैं प्रथम नहीं आ सका तो क्या होगा? मैं स्कूल से टॉपर बनकर निकला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाद में, मुझे एहसास हुआ कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप शीर्ष पर हैं या दूसरे स्थान पर हैं। इसलिए अपने व्यक्तित्व को अच्छे से विकसित करें।”

उपराष्ट्रपति ने सात बैच में सभी छात्रों को संसद के कामकाज की झलक देखने के लिए अपने अतिथि के रूप में दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया।

उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ दिन में लोहार्गल में श्री सूर्य मंदिर और झुंझुनू में रानी शक्ति मंदिर में पूजा-अर्चना की।

धनखड़ बाद में जयपुर रवाना हो गए जहां वह दिल्ली रवानगी से पहले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।

भाषा अर्पणा नरेश

नरेश


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