भारत, श्रीलंका को एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना होगा : पूर्व राजनयिकों ने कहा

भारत, श्रीलंका को एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना होगा : पूर्व राजनयिकों ने कहा

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  • Publish Date - September 23, 2024 / 09:05 PM IST,
    Updated On - September 23, 2024 / 09:05 PM IST

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन के बीच, कई पूर्व भारतीय राजनयिकों ने सोमवार को कहा कि द्वीपीय देश में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं और दोनों पड़ोसियों को एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना होगा।

मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमार दिसानायके ने सोमवार को श्रीलंका के नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और कहा कि वह अपने देश में ‘‘पुनर्जागरण’’ लाएंगे।

देश में आर्थिक संकट शुरू होने पर 2022 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच गोटबाया राजपक्षे को सत्ता से हटाए जाने के बाद यह पहला राष्ट्रपति चुनाव था।

विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव (पूर्व) अनिल वाधवा ने कहा कि चाहे श्रीलंका का राष्ट्रपति कोई भी हो या देश में कौन सी पार्टी सत्ता में हो, कोलंबो और नयी दिल्ली के बीच संबंध ‘‘अच्छे बने रहने चाहिए।’’

वरिष्ठ राजनयिक ने यहां पीटीआई-भाषा कहा, ‘‘चूंकि दोनों पक्षों के बीच परस्पर निर्भरता है, खासकर श्रीलंका की, लेकिन भारत भी अपनी सुरक्षा के लिए श्रीलंका पर काफी निर्भर है। इसलिए, मुझे ज्यादा बदलाव नहीं दिखता और (मैं) निरंतरता ही देखता हूं, जो भी सत्ता में है उसके साथ उसी तरह के संबंध बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।’’

दिसानायके (56) के श्रीलंका के शीर्ष पद पर आसीन होने पर, वाधवा ने कहा कि एक साल से श्रीलंका के लोगों को लग रहा था कि उन्हें किसी और को मौका देना चाहिए क्योंकि अन्य दो दल उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

वर्ष 2017 से 2020 तक नीदरलैंड में भारत के राजदूत रह चुके वेणु राजामणि ने कहा कि श्रीलंका और भारत को एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशील होना होगा।

वरिष्ठ राजनयिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘नयी सरकार और नये नेता पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन एक बात सभी के लिए स्पष्ट है कि श्रीलंका भारत का करीबी मित्र है, उसे भारत के साथ मिलकर काम करना होगा और आगे बढ़ने के साथ दोनों देशों को एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशील होना होगा।’’

राजामणि, वर्तमान में ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में कूटनीतिक व्यवहार के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

वाधवा और राजामणि ने दोनों देशों के बीच भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक समानता को भी रेखांकित किया और बताया कि कैसे भारत ने श्रीलंका में अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल के बाद द्वीपीय देश के ऋण संकट में फंसने पर उसकी सहायता की।

राष्ट्रपति सचिवालय में प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने दिसानायके को श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के व्यापक मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता ने शनिवार के चुनाव में समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा को हराया था।

यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीलंका के चीन के साथ संबंधों की पृष्ठभूमि में मार्क्सवादी नेता का सत्ता में आना नयी दिल्ली के लिए कोई चिंता का विषय होगा, वाधवा और राजमणि ने कहा कि ऐसा नहीं होगा।

भाषा सुभाष रंजन

रंजन