नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) भारत ने रविवार को कहा कि वह प्राथमिक प्लास्टिक पॉलिमर के उत्पादन को विनियमित करने के किसी भी कदम का समर्थन नहीं करता, क्योंकि इससे राष्ट्रों के विकास अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
भारत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि को अंतिम रूप देने के लिए दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित वैश्विक बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई।
संधि का मसौदा तैयार करने के लिए गठित अंतर-सरकारी वार्ता समिति की पांचवीं बैठक के समापन सत्र में भारत ने कहा कि उसके अपने देश सहित अन्य देशों के कुछ सुझाव मसौदा में प्रतिबिंबित नहीं हुए।
भारत ने समिति के अध्यक्ष से आश्वासन मांगा कि देशों को भविष्य की चर्चाओं में अपने विचार शामिल करने का अवसर मिलेगा।
भारत के प्रमुख वार्ताकार नरेश पाल गंगवार ने कहा कि संधि का दायरा पूरी तरह प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने पर केंद्रित होना चाहिए तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों या निकायों के क्षेत्र में ‘दखल’ से बचना चाहिए।
उन्होंने अनुरोध किया कि मसौदे में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया जाए।
गंगवार ने कहा, ‘‘भारत प्राथमिक प्लास्टिक पॉलिमर के उत्पादन को विनियमित करने के किसी भी उपाय का समर्थन करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करना चाहेगा, क्योंकि इसका सदस्य देशों के विकास के अधिकार के संबंध में व्यापक प्रभाव पड़ेगा।’’
भाषा धीरज प्रशांत
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