भारत वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा, यह मंत्री होने के लिये अच्छा क्षण: जयशंकर

भारत वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा, यह मंत्री होने के लिये अच्छा क्षण: जयशंकर

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  • Publish Date - December 6, 2024 / 10:03 PM IST,
    Updated On - December 6, 2024 / 10:03 PM IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत आत्मविश्वास के साथ वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा है और चीन के साथ सीमा जैसी चुनौतियों का दृढ़ता एवं दृढ़ संकल्प के साथ सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश का विदेश मंत्री होने के लिये अच्छा क्षण है।

एनडीटीवी के ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ कार्यक्रम में ‘इंडिया फर्स्ट’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए जयशंकर ने कहा कि यह उनके लिए ऐसे समय में विदेश में देश का चेहरा होने का सौभाग्य है, जब भारत अपनी परंपराओं के प्रति सच्चा रहते हुए बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अधिक आकांक्षी, अधिक महत्वाकांक्षी, अधिक सक्षम और अधिक आश्वस्त हैं। लेकिन सबसे बढ़कर, हम एक ऐसा ‘इंडिया’ हैं जो ‘अधिक भारत’ है। हम वास्तव में आजादी के बाद आठवें दशक में देख सकते हैं कि लोकतंत्र ने क्या परिणाम दिए हैं।’’

मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने देश में जो बदलाव देखे हैं, उससे वह सशक्त महसूस करते हैं, जो क्वाड गठन का सह-संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का जनक है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत विचारों का देश है, यह एक ऐसा देश है, जो वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा है। यही कारण है कि मैं देश का प्रतिनिधित्व करने और यह जिम्मेदारी (विदेश मंत्री के रूप में) संभालने वाला भाग्यशाली व्यक्ति हूं।’’

जयशंकर ने उन चुनौतियों को भी याद किया जिनका भारत ने चीन के साथ सीमा पर साढ़े चार साल तक सामना किया और जिस दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ उनका जवाब दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से हम आज आतंकवाद का जवाब दे रहे हैं, उसे देखें। एक देश जिसने 26/11 जैसे बड़े हमले को बिना जवाब दिए छोड़ दिया, वह आज उरी का जवाब देकर और बालाकोट में हमलों के माध्यम से एक बहुत स्पष्ट संदेश भेज रहा है।’’

जयशंकर ने कहा कि भारत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा देश है, जो अपनी परंपराओं के प्रति सच्चा है और साथ ही भविष्य की ओर देखने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के हर हिस्से में जीवन के हर क्षेत्र में समान अवसर हैं। यह सफलता कोई अभिजात्य या महानगरीय नहीं है।’’

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप