हैदराबाद/नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने मंगलवार को कहा कि भारत रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक डेटा के मामले में लगभग आत्मनिर्भर है, जिसका श्रेय जीपीएस के समान देश की उपग्रह नेविगेशन प्रणाली (नेवीगेशन विद इंडियन कॉन्सिलेशन) ‘नाविक’ को जाता है।
नागरिक उपयोगों के लिए भी, गोयनका ने विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता से बचने के महत्व पर बल दिया, जो भारत को असुरक्षित बना सकती हैं।
हैदराबाद में जियोस्मार्ट इंडिया 2024 सम्मेलन के दौरान एक पैनल चर्चा में उन्होंने कहा, ‘‘ ‘नाविक’ के साथ हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी रणनीतिक जरूरतों के लिए (चाहे वह रक्षा,नागरिक उपयोग या उद्योग से जुड़ा हो) हम दूसरों पर निर्भर न हों। यदि कोई आपूर्ति में कटौती करता है, तो हमारे पास ऐसी क्षमता होनी चाहिए, ताकि हम अपनी प्रणाली का उपयोग शुरू कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि नाविक के अलावा जीपीएस जैसी अन्य नेविगेशन प्रणालियां भी मौजूद हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को ‘नाविक’ का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होना चाहिए।
‘नाविक’ (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) इसरो द्वारा विकसित भारत का अपना उपग्रह नेविगेशन सिस्टम है। यह जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की तरह सटीक स्थान और समय की जानकारी प्रदान करने में मदद करता है। इसे भारत और इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र को कवर करने के लिए तैयार किया गया है।
संचार उपग्रहों के बारे में गोयनका ने कहा कि भारत के पास खुद के उपग्रहों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन देश अब भी आंशिक रूप से विदेशी उपग्रहों पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमारे पास एनएसआईएल (इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड) की बदौलत विदेशी उपग्रहों की तुलना में थोड़ा अधिक भारतीय संचार उपग्रह हो सकते हैं। लेकिन हमें भारतीय उपग्रहों की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता है।’’
भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति (जीडीपीडीसी) के अध्यक्ष श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि भारत को कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जीडीपीडीसी ने नागरिक उड्डयन और मानचित्रण सहित छह प्रमुख क्षेत्रों को रणनीतिक और महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना है। शास्त्री ने कहा कि जीडीपीडीसी द्वारा स्थापित उत्कृष्टता केंद्रों के अगले साल इन प्राथमिकताओं पर काम शुरू करने की उम्मीद है।
भाषा
अमित संतोष
संतोष