नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) भारत, अमेरिका और चीन 2009 से 2019 के बीच पर्यटन उत्सर्जन में 60 प्रतिशत वृद्धि के लिए जिम्मेदार थे, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या और यात्रा मांग में काफी बढ़ोतरी थी। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
‘नेचर कम्यूनिकेशन्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले दशक में चीन के घरेलू पर्यटन व्यय में प्रति वर्ष 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, तथा वैश्विक उत्सर्जन में 0.4 गीगाटन का इजाफा हुआ, जिसके बाद अमेरिका (0.2 गीगाटन) और भारत (0.1 गीगाटन) में घरेलू पर्यटन में वृद्धि हुई।
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि बढ़ती आय का स्तर भी एक प्रेरक कारक हो सकता है, खासकर ‘उभरती हुई आर्थिक शक्तियों चीन और भारत’ में।
उन्होंने 2009-2019 के दौरान 175 देशों की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्रा पर नज़र रखी और पाया कि पर्यटन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बाकी वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में दो गुना से अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
इसमें पता चला कि पर्यटन से कार्बन उत्सर्जन 3.7 गीगाटन से बढ़कर 5.2 गीगाटन हो गया है- जिसमें अधिकांश उत्सर्जन विमानन और निजी वाहनों से हो रहा है।
क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के बिजनेस स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर या-येन सन के अनुसार, पर्यटन की मांग में तीव्र वृद्धि के कारण पर्यटन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन दुनिया के कुल उत्सर्जन का नौ प्रतिशत हो गया है।
शोध में कहा गया है कि तीन देशों अमेरिका, चीन और भारत – में घरेलू यात्रा में इजाफा उत्सर्जन में कुल वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दे रहा है।
भाषा नोमान सुरेश
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