इस धर्म में भी यीशु का होता है आदर..

इस धर्म में भी यीशु का होता है आदर..

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  • Publish Date - December 25, 2020 / 04:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

रायपुर। सारी दुनिया जानती है कि प्रभु यीशु के जन्मदिन को क्रिसमस के तौर पर जीसस के जन्म का जश्न मनाया जाता है। दुनिया भर के ईसाइयों के लिए ये उत्सव का दिन होता है, हालांकि, बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि भले ही अधिकतर मुसलमान क्रिसमस नहीं मनाते हैं लेकिन जीसस इस्लाम धर्म में भी काफी अहमियत रखते हैं। इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रन्थ कुरान में जीसस और मैरी का कई बार जिक्र किया गया है।

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इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रन्थ कुरान में जीसस, मैरी और देवदूत गेब्रियल का भी जिक्र है। इस्लाम में जीसस को ईसा, मैरी को मरियम और गेब्रियल को जिब्राइल कहा गया है, बाइबिल के कुछ और चरित्र आदम, नूह, अब्राहम, मोसेस का भी उल्लेख कुरान में है। कुरान में अब्राहम को इब्राहिम, मोसेस को मूसा कहा गया है। 

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जीसस का अरबी नाम ईसा है। कुरान में हजरत ईसा अलैहिस्सलाम का जिक्र है, जिन्हें ईसाई समुदाय ईसा मसीह कहते हैं और इस्लाम के लोग हजरत ईसा के नाम से पुकारते हैं। मुसलमानों का मानना है कि हजरत ईसा (जीसस) अल्लाह के पैगंबर थे और कुआंरी मरियम ने उन्हें जन्म दिया था। जब कुआंरी मरियम को फरिश्ता जिब्राइल (जीसस) ईसा के जन्म की बात बताता है तो मरियम कहती हैं, जब मुझे किसी आदमी ने कभी छुआ नहीं तो मैं किसी बच्चे को कैसे जन्म दूंगी? तब फरिश्ता कहता है, ईश्वर के लिए सब संभव है, वो दया और करुणा का संदेश देने धरती पर आएंगे।

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मैरी को अरबी भाषा में मरियम कहा गया है। कुरान में उन पर एक पूरा चैप्टर (चैप्टर 9) है। कुरान में किसी महिला पर अगर एक पूरा चैप्टर है तो वह मरियम पर ही है। यहां तक कि कुरान में मैरी ही एक ऐसी महिला हैं जिनका नाम लिया गया है। कुरान में अन्य महिलाओं को या तो उनके रिश्तों से परिभाषित किया गया है या फिर किसी उपाधि से, जैसे आदम की पत्नी, मूसा की मां, शेबा की रानी. ‘न्यू टेस्टामेंट ऑफ द बाइबल’ से ज्यादा कुरान में मैरी का जिक्र किया गया है।

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इस्लाम में बाकी पैगंबरों की तरह ईसा भी लोगों के लिए एक संदेश लेकर आते हैं। ईसा का संदेश “इंजील” कहलाता है। कुरान के अनुसार, इंजील अल्लाह की ओर से इंसानियत को दिए गए चार पवित्र ग्रंथों में से एक है, जिनमें अन्य 3 हैं जबूर, तौरात और कुरान। मान्यता अनुसार ईसा को, जिन्हें नबी और इस्लाम का एक पैगंबर माना जाता है, अल्लाह ने इंजील का ज्ञान दिया था।

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ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जीसस ने कई चमत्कार किए थे और वह सभी के दुख दूर करते थे। ईसाई धर्म में जीसस के अंधे को रोशनी देने और मुर्दा में जान फूंकने जैसे चमत्कारों का जिक्र होता है। वहीं, कुरान में भी ईसा के मिट्टी के पक्षी में जान डाल देने जैसे चमत्कारों का उल्लेख है। कुरान में ईसा के जन्म की जो कहानी बताई गई है, वो भी उनके पहले जादुई कारनामे की ही कहानी है। जब वह पालने में ही बोलने लगते हैं और खुद को पैगंबर घोषित करते हैं।

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हर चमत्कार का एक खास मकसद भी है. जब कुआंरी मरियम ईसा को लोगों के सामने लेकर आती हैं तो लोग उन पर तरह-तरह के इल्जाम लगाने लगते हैं। इस पर मरियम ईसा की तरफ इशारा करती हैं और कहती हैं, मुझसे सवाल करने के बजाय आप लोग इस बच्चे से पूछ लीजिए। लोग कहते हैं कि हम एक बच्चे से कैसे बात करें, इसी दौरान ईसा बोलना शुरू कर देते हैं। कुरान के मुताबिक, “ईसा कहते हैं कि मैं ईश्वर का सेवक हूं। उन्होंने मुझे पैगंबर बनाकर भेजा है। उन्होंने मुझे प्रार्थना और दया का उपदेश दिया है.”

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जिस तरह से ईसाई जीसस से प्यार करते हैं, उसी तरह से मुस्लिम भी उनका सम्मान करते हैं। मुस्लिम जीसस को ईसा बोलते हैं, लेकिन बस दोनों धर्मों की सोच में फर्क इतना है कि ईसाई जीसस को ईश्वर का बेटा (सन ऑफ गॉड) मानते हैं, जबकि मुस्लिम मानते हैं कि ईसा (अलैयहिस्सलाम) अल्लाह के बेटे नहीं बल्कि वो अल्लाह के भेजे हुए दूत थे, जो आम इंसान को सही रास्ता दिखाने आए थे। मुस्लिमों का ये भी मानना है कि कयामत के दिन वह धरती पर लौटेंगे और न्याय को फिर से स्थापित करेंगे, जिस तरह से मुस्लिम अन्य पैगंबरों का नाम सम्मानसूचक शब्दों के साथ लेते हैं, वैसे ही जीसस का नाम भी लेते हैं।