42 percent youth of the country are unemployed : नई दिल्ली। कोरोना के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं आया है। हमारे देश में बेरोजगारी के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। वहीं देखा जाये तो 5 साल से कम उम्र वाले ग्रेजुएट्स के लिए बेरोजगारी दर 42 फीसदी तक पहुंच गई है ऐसे में हाई स्कूल की एजुकेशन हासिल करने वालो के बीच बेरोजगारी में काफी बड़ा अंतर है।
रिपोर्ट के मुताबिक 25 साल से कम उम्र के शिक्षित युवाओं के लिए बेरोजगारी दर 40 फीसदी है। वहीं 35 साल और उससे ज्यादा के उम्र वाले ग्रेजुएट्स के लिए बेरोजगारी दर 5 फीसदी से भी कम हो गई है। यह रिपोर्ट अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की तरफ से पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS)2021-22 के आंकड़ों का हवाला देते हुए पब्लिश की गई है।
रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि भले ही ग्रेजुएट्स को नौकरी मिल जाती है पर उनको मिलने वाली नौकरी क्या उनकी योग्यता या फिर पढ़ाई के हिसाब से है इस पर सवाल बना हुआ है। इस पर अभी और भी ज्यादा रिसर्च किए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के बाद वर्कफोर्स का आकार बढ़ा है, भागीदारी दर भी बढ़ी है। साथ ही बेरोजगारी भी कम हुई है। 2021-22 तक, खुली बेरोजगारी की दर 2017-18 में सबसे ज्यादा 8.7 प्रतिशत पर थी। जो कि बाद में कम होकर 6.6 फीसदी पर आ गई है। यह गिरावट ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के पुरुष और महिलाओं के बीच दर्ज की गई है।
42 percent youth of the country are unemployed : रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि बेरोजगारी स्थिर आय से मेल खाती है जो कि यह बताती है कि लेबर डिमांड कमजोर बनी हुई है और अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोर डिमांड का असर काम करने वालों पर भी पड़ रहा है। महिलाओं की भागीदारी भी वर्कफोर्स में बढ़ी है। साल 2004 के बाद सेल्फ इंप्लॉइमेंट में संकट की वजह से साल 2019 से महिला रोजगार दर में इजाफा हुआ है। कोविड से पहले महिलाओं में सेल्फ इंप्लॉइमेंट लगभग 50 फीसदी तक था। कोविड के बाद यह बढ़कर 60 फीसदी पर आ गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 के लॉकडाउन के दो साल बाद, अप्रैल-जून 2019 तिमाही में सेल्फ इंप्लॉइमेंट की कमाई केवल 85 प्रतिशत थी।
आयु — हिस्सेदारी
25 से कम — 42.3%
25-29 वर्ष — 22.8%
30-34 वर्ष — 9.8%
35-39 वर्ष — 4.5%
40 से अधिक — 1.6%