नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पेड़ों की अवैध कटाई के संबंध में याचिका दाखिल करके राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से विश्वविद्यालय और उसके कुलपति पर भारी जुर्माना लगाने का अनुरोध किया गया है।
एक समिति की रिपोर्ट पर याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी ने नौ नवंबर को अपना जवाब दाखिल किया। रिपोर्ट में कहा गया था कि 1,300 एकड़ में फैले परिसर में चंदन के सात और अन्य प्रजातियों के 26 पेड़ों सहित 33 पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है।
समिति ने कहा, ‘‘पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बीएचयू पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही कुलपति पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए सुधारात्मक और पुनरुद्धार के उपाय किये जा सकते हैं।’’
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि चंदन के पेड़ों की अवैध कटाई और इनकी चोरी के संबंध में मामला स्थानीय पुलिस ने बंद कर दिया क्योंकि उसने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से सांठगांठ कर ली थी।
जवाब में कहा गया, ‘‘इसलिए पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की जा सकती है। बीएचयू के भ्रष्ट और दोषी अधिकारियों के खिलाफ जुर्माने के अलावा आपराधिक कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है।’’
उसने यह भी कहा कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों से मिलान करके पेड़ों की कटाई से संबंधित तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
वाराणसी के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) और केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय की समिति ने एनजीटी के समक्ष 29 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया कि पेड़ों की अवैध कटाई के संबंध में याचिकाकर्ता के आरोप सही हैं।
इसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने वन अधिकारियों को सूचित किया था कि चंदन के पेड़ चोरी हो गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विश्वविद्यालय में उक्त स्थान पर 24 घंटे सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं, सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं और किसी भी सामग्री को बाहर नहीं ले जाने के लिए हर गेट पर सुरक्षा व्यवस्था की गई है। ऐसे में चोरी की यह घटना संदिग्ध है। चंदन के पेड़ काटे गए और पूरी लकड़ी रातों-रात गायब कर दी गई। इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अपराधियों को पकड़ने और कीमती लकड़ी को बरामद करने के लिए कोई उचित प्रयास नहीं किया गया।’’
भाषा वैभव संतोष
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