चेन्नई, 20 अप्रैल (भाषा) नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-मद्रास) के शोधार्थी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य कर्मी राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
नवजात शिशु मृत्यु दर घटाने के लिए आईआईटी-मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटी व अन्य की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (तमिलनाडु) के निदेशक दारेज अहमद द्वारा हाल में एक परियोजना रिपोर्ट ‘स्मार्ट एनआरपी’ (नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम) जारी की गई।
वर्चुअल वास्तविकता पर आईआईटी मद्रास के उत्कृष्टता केंद्र की एक टीम ने स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल प्रशिक्षण की पहचान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में खासतौर पर देश द्वारा सामना की जा रही एक बड़ी चुनौती के रूप में की है।
आईआईटी मद्रास ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘वर्चुअल वास्तविकता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए स्मार्ट एनआरपी उपकरण का उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत तमिलनाडु में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा। इसे उन राज्यों में भी अपनाया जाएगा जहां नवजात शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक है।’’
अहमद ने कहा, ‘‘यदि आप शिशु मृत्यु दर को देखें, तो नवजात शिशु मृत्यु दर (जन्म के 28 दिन के अंदर होने वाली मौत) में इसकी सर्वाधिक भूमिका है। प्रति 1,000 जन्म पर करीब 40 शिशु की मौत हो जाती है। हम इसे घटा कर एकल अंक पर लाना चाहते हैं और यह सभी पहल इसी दिशा में हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आईआईटी मद्रास को दुर्घटना में घायलों का इलाज करने जैसे अन्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए उपकरण विकसित करना चाहिए।’’
भाषा
सुभाष मनीषा
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