नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी कम लागत वाला एक अनूठा पदार्थ विकसित कर रहा है जो जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करने के लिए सूर्य की रोशनी का उपयोग कर सकता है।
हाइड्रोजन को एक स्वच्छ, अधिक ऊर्जा वाला ईंधन माना जाता है, जिसका भंडारण किया जा सकता है और जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है।
जल से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए यह पदार्थ विकसित होने पर कार्बन-मुक्त हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा जा सकता है।
यह अध्ययन जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित हुआ है, जिसका प्रकाशन अमेरिकन केमिकल सोसाइटी करती है।
अनुसंधान दल के मुताबिक स्वच्छ ऊर्जा विकसित करने में विश्वव्यापी कोशिशों को जीवाश्म ईंधन का भंडार तेजी से घटने के कारण भी बल मिला है। जीवाश्म ईंधन पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।
आईआईटी गुवाहाटी के रसायन विभाग के प्राध्यापक मोहम्मद कुरैशी ने कहा, ‘‘1839 में एंडमंड बेक्वैरेल द्वार फोटोवोल्टिक प्रभाव की खोज के बाद , सौर ऊर्जा को रासायनिक ईंधन में परिवर्तित किये जाने की प्रक्रिया ने इसके प्रति वैज्ञानिकों की रूचि जगाई है। सौर ऊर्जा को आज सर्वाधिक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा माना जाता है। ’’
कुरैशी ने बताया कि फोटो इलेक्ट्रो केमिकल सेल जल जैसे सामान्य एवं सुरक्षित यौगिकों को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
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सुभाष माधव
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