यदि आरे में और पेड़ काटने का प्रस्ताव है, तो बताएं : न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

यदि आरे में और पेड़ काटने का प्रस्ताव है, तो बताएं : न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

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  • Publish Date - December 20, 2024 / 07:16 PM IST,
    Updated On - December 20, 2024 / 07:16 PM IST

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बताए कि क्या मुंबई के आरे जंगल में और पेड़ों को काटने का कोई प्रस्ताव है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे फरवरी के दूसरे सप्ताह तक अपनी दलीलें पूरी कर लें, ताकि महाराष्ट्र सरकार के वकील इस मुद्दे पर बयान दे सकें।

जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसमें शामिल सभी लोगों के मन में जनहित है, तो पीठ ने कहा, ‘‘केवल जनहित ही नहीं, बल्कि पर्यावरण हित भी होना चाहिए। हजारों पेड़ पहले ही काटे जा चुके होंगे।’’

उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई 10 जनवरी, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी।

न्यायालय ने 2023 में कुछ आदिवासियों को मेट्रो रेल परियोजना के लिए मुंबई के आरे जंगल में पेड़ों की कटाई से संबंधित अपनी शिकायतों को लेकर बम्बई उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने 17 अप्रैल, 2023 को कार शेड परियोजना के लिए जंगल में केवल 84 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले उसके पहले के आदेश का ‘‘उल्लंघन’’ करने की कोशिश करने के लिए मुंबई मेट्रो को कड़ी फटकार लगाई थी और उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया था।

अदालत ने कहा कि मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (एमएमआरसीएल) की ओर से 84 से अधिक पेड़ों को गिराने के लिए वृक्ष प्राधिकरण को आवेदन देना अनुचित था।

उच्चतम न्यायालय ने हालांकि कंपनी को आरे जंगल से 177 पेड़ हटाने की अनुमति दे दी और कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक से सार्वजनिक परियोजना ठप हो जाएगी, जो वांछनीय नहीं है।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप