आईसीएआर ने रांची कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित चारे की उन्नत किस्म जारी करने की सिफारिश की

आईसीएआर ने रांची कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित चारे की उन्नत किस्म जारी करने की सिफारिश की

आईसीएआर ने रांची कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित चारे की उन्नत किस्म जारी करने की सिफारिश की
Modified Date: April 25, 2025 / 10:56 am IST
Published Date: April 25, 2025 10:56 am IST

रांची, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित चारा फसल की उन्नत किस्म ‘बिरसा लैथिरस-एक’ को जारी किए जाने की सिफारिश की है।

बीएयू की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि यह किस्म चारा फसलों संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) के अंतर्गत विकसित की गई है।

बयान के अनुसार, देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र और मध्य क्षेत्र के लिए जारी किए गए इस किस्म के हरित चारे की औसत उपज (जीएफवाई) 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित ‘महातेओरा’ किस्म से 6.3 प्रतिशत अधिक है।

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बीएयू के वैज्ञानिक डॉ. योगेन्द्र प्रसाद और डॉ. बीरेन्द्र कुमार इस किस्म को विकसित करने पर पिछले एक दशक से कार्य कर रहे थे।

दोनों वैज्ञानिकों ने 22-23 अप्रैल को कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में

आयोजित चारा फसलों पर एआईसीआरपी (अखिल भारतीय समन्वय/नेटवर्क परियोजनाएं) की वार्षिक बैठक में भाग लिया जहां इस किस्म को जारी किए जाने की सिफारिश की गई।

इस बैठक में आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ. डी के यादव, सहायक महा निदेशक डॉ. एस के प्रधान, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. पंकज कौशल और परियोजना समन्वयक डॉ. विजय यादव सहित देशभर के लगभग 100 वैज्ञानिकों ने भाग लिया और चारा अनुसंधान कार्यक्रम की समीक्षा की।

बयान में कहा गया, ‘‘राष्ट्रीय स्तर पर हरित चारे की 11.24 प्रतिशत कमी है, जबकि झारखंड में यह कमी 46 प्रतिशत तक है। इस जनजातीय बहुल राज्य में सूखे चारे की कमी लगभग 23 प्रतिशत है।’’

भाषा

राखी सिम्मी

सिम्मी


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