देश के सबसे बड़े ऑपरेटिंग गैस बेस्ड पावर प्लांट पहुंची IBC 24 की टीम, जानिए कैसे नेचुरल गैस से बनाई जाती है बिजली

Tripura Power Company Limited: देश के सबसे बड़े ऑपरेटिंग गैस बेस्ड पावर प्लांट पहुंची IBC 24 की टीम, जानिए कैसे नेचुरल गैस से बनाई जाती है बिजली

  • Reported By: Star Jain

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  • Publish Date - October 26, 2024 / 09:26 AM IST,
    Updated On - October 26, 2024 / 09:27 AM IST

त्रिपुरा: Tripura Power Company Limited त्रिपुरा के गोमती जिले में स्थित ओएनजीसी-त्रिपुरा पावर कम्‍पनी (OTPC) नेचुरल गैस पर आधारित बिजली संयंत्र है, जो कि त्रिपुरा के साथ ही पूवोत्‍तर के छह अन्‍य राज्‍यों को भी बिजली की आपूर्ति करती है। इतना ही नहीं यहां पैदा होने वाली बिजली बांग्लादेश को भी दी जा रही।

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Tripura Power Company Limited पूवोत्‍तर राज्‍यों का सबसे बड़ा प्‍लांट होने की वजह से यह कुल बिजली का 25 प्रतिशत भाग यह अकेले ही आपूर्ति करता है। देश में इस समय लगभग 1000 से 1100 मेगावाट की बिजली गैस से जेनरेट हो रही है, मतलब लगभग 50 से 60 प्रतिशत की बिजली अकेले OTPC बना रहा है।

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IBC 24 के संवाददाता स्टार जैन ने देश के सबसे बड़े ऑपरेटिंग गैस बेस्ड इस पावर प्लांट का दौरा किया और इसके स्थापना और संचालन को लेकर अधिकारियों से बात की, साथ ही ये जानने की कोशिश की कैसे यहां बिजली बनाई जाती है।

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ओटीपीसी के चीफ एक्जिक्‍यूटिव ऑफिसर (सीईओ) संजय गढ़वाल ने बताया कि त्रिपुरा में उपलब्ध गैस का समुचित उपयोग करने और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति करने के उद्देश्‍य से तेल एवं प्राकृतिक गैर निगम (ONGC) द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) और त्रिपुरा सरकार के साथ मिलकर 18 सितंबर, 2008 को पालाटाना, त्रिपुरा में 726.6 मेगावाट के कंबाइंड साइकिल गैस टर्बाइन (CCGT) की स्‍थापना के लिए ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कंपनी (OTPC) का गठन किया गया।

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उन्‍होंने बताया कि इस बिजली संयंत्र के 363.3 मेगावाट के पहले ब्लॉक का 04 जनवरी, 2014 से और 363.3 मेगावाट के दूसरे ब्लॉक का 24 मार्च, 2015 से वाणिज्यिक संचालन शुरू किया गया था। गढ़वाल ने बताया कि पूवोत्‍तर राज्‍यों का सबसे बड़ा प्‍लांट होने की वजह से यह कुल बिजली का 25 प्रतिशत भाग यह अकेले ही आपूर्ति करता है।

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संजय गढ़वाल ने बताया कि सीएसआर बोर्ड द्वारा तय मानदंडों के आधार पर ओटीपीसी सालाना 03 करोड़ रूपए सीएसआर पर खर्च कर रहा है। यह खर्च प्‍लांट के 10 से 25 किलोमीटर की परिधि में कुल सीएसआर का 80 प्रतिशत हिस्‍सा ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में, स्‍कूलों के निर्माण में और हर महीने लगभग 3000 कन्‍या छात्राओं को सेनेटरी पैड उपलब्‍ध कराता है। इसके अलावा ग्रामीण छात्र-छात्राओं के लिए आईआईटी और जेईई जैसे परीक्षाओं के तैयारी में मदद करता है। साथ ही 4 मोबाईल हेल्‍थ वैन के माध्‍यम से लोगों का स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण कर नि:शुल्‍क दवाईयां उपलब्‍ध करा रहा है।

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ओटीपीसी के प्रोजेक्‍ट हेड तापस भौमिक ने ओटीपीसी प्‍लांट की स्‍थापना के संबंध में विस्‍तृत जानकारी दी। उन्‍होंने बताया इस प्‍लांट के लिए बड़ी मशीनरी बांग्‍लादेश के रास्‍ते त्रिपुरा लाई गयी है।

भौमिक ने बताया कि गैस पर आधारित होने के कारण यह परियोजना राष्ट्रीय संचरण ग्रिड को स्वच्छ बिजली की आपूर्ति कर रही है। स्वच्छ बिजली की आपूर्ति के कारण कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। स्वच्छ बिजली के निर्यात होने से पर्यावरण उत्सर्जन में वृद्धि होती है। भौमिक बताया कि कोयला जोकि एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है की बचत होती है जिसका उपयोग अन्‍य कार्यों में हो सकेगा। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी होने से आम लोगों का विस्थापन में कमी और भूमि का संरक्षण होता है।

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