IAS Pooja Khedkar: कौन है IAS पूजा खेडकर?, जिसने की लाल बत्ती और VIP नंबर प्लेट वाली कार की डिमांड, अब सरकार ने थमाया ट्रांसफर लेटर |

IAS Pooja Khedkar: कौन है IAS पूजा खेडकर?, जिसने की लाल बत्ती और VIP नंबर प्लेट वाली कार की डिमांड, अब सरकार ने थमाया ट्रांसफर लेटर

IAS Pooja Khedkar: कौन है IAS पूजा खेडकर?, जिसने की लाल बत्ती और VIP नंबर प्लेट वाली कार की डिमांड, अब सरकार ने थमाया ट्रांसफर लेटर

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Modified Date: July 10, 2024 / 02:54 PM IST
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Published Date: July 10, 2024 2:54 pm IST

IAS Pooja Khedkar: महाराष्ट्र सरकार ने कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी डॉ पूजा खेडकर को पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया है। पुणे के कलेक्टर डॉ. सुहास दिवसे द्वारा मुख्य सचिव को लिखे लेटर के बाद यह एक्शन लिया गया है।  ट्रेनी आईएएस की इस मनमानी को सरकार ने काफी गंभीरता से लिया, जिसके बाद प्रशासन में हलचल मची हुई है। 2023 बैच की आईएएस ने अपनी निजी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगाया था, जबकि प्रशिक्षु को उपरोक्त सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं और पहले उसे राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना आवश्यक होता है।

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अपनी डिमांड को लेकर आई थी चर्चा में

दरअसल, आईएएस पूजा खेडकर पिछले दो महीनों से ऐसी मांगें और विशेषाधिकार मांग रही थीं जो किसी ट्रेनी को नहीं दिए जाते हैं। पूजा खेडकर ने अपने गाड़ी में लाल-नीली बत्ती, लेटर पैड, नेमप्लेट, अलग कार्यालय और उनके बुलावे पर एक समर्पित कर्मचारी की मांग की है। हालांकि पूजा खेडकर इन विशेषाधिकारों की हकदार नहीं है, फिर भी वे अपनी मांगों से चर्चा में बनी हुई हैं। उनकी इस मांग को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों में काफी हलचल मची हुई थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी प्राइवेट कार पर ‘महाराष्ट्र शासन’ का बोर्ड भी लगाया था। खेडकर ने कलेक्टर कार्यालय से ऐसी मांगें की थीं, जोकि पूरी तरह अनुचित थी।

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बता दें कि नियमों के अनुसार, एक प्रोबेशन अधिकारी को उपरोक्त सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं और उसे पहले राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना आवश्यक है। जब एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे बाहर थे तो उन्होंने उनके सामने वाले कक्ष पर भी कब्जा कर लिया और अपने नाम का एक बोर्ड भी लगा दिया।

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IAS Pooja Khedkar:  बताया गया कि यूपीएससी में 841 रैंक लेकर आने वाली खेडकर ने एडिशनल कलेक्टर की पूर्व सहमति के बिना कुर्सियां, सोफा, टेबल समेत सभी सामग्री हटा दी। इसके बाद उन्होंने राजस्व सहायक को उनके नाम पर एक लेटरहेड, विजिटिंग कार्ड, पेपरवेट, नेमप्लेट, शाही मुहर, इंटरकॉम उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। बता दें कि खेडकर के पिता एक रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी हैं. उन्होंने भी कथित तौर पर अपनी बेटी की मांगों को पूरा करने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डाला था।

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