नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम के नारे को लेकर जारी सियासत में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन भी कूद गए हैं। कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में सेन ने बयान दिया है कि जय श्रीराम नारे का बंगाली संस्कृति से कोई लेना देना नहीं है। इस नारे का इस्तेमाल अब लोगों की पिटाई के लिए किया जाता है।
Nobel laureate Amartya Sen in Kolkata: I haven’t heard Jai Shri Ram earlier. It is now used to beat up people. I think it is has no association with Bengali culture. Nowadays, Ram Navami is celebrated more in Kolkata which I haven’t heard earlier. (July 5) pic.twitter.com/s10MPWj9un
— ANI (@ANI) July 6, 2019
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भाजपा ने सेन के इस बयान पर पलटवार किया है। बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पलटवार करते हुए कहा, ‘अमर्त्य सेन शायद बंगाल को नहीं जानते हैं। क्या वह बंगाली और भारतीय संस्कृति को जानते हैं? जय श्रीराम हर गांव में बोला जाता है। अब इसे पूरा बंगाल कहता है।’ कैलाश विजयवर्गीय ने भी अमर्त्य सेन पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि जिस पार्टी से सेन है उसे लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली।
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बता दें कि पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों से जय श्री राम का नारा राजनीतिक बहस के दायरे में आ गया है। टीएमसी ने आरोप लगाया है कि लोगों का धुव्रीकरण कर बीजेपी साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने के लिए इस नारे का इस्तेमाल कर रही है।
West Bengal BJP President Dilip Ghosh on Amartya Sen remark ‘Jai Shri Ram slogan has no association with Bengali culture’: Amartya Sen probably doesn’t know Bengal. Does he know about Bengali or Indian culture? Jai Shri Ram is chanted in very village. Now entire Bengal says it. pic.twitter.com/7BumOIb5YY
— ANI (@ANI) July 6, 2019
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