नहीं करना चाहता अपनी मां से बात…बचपन में घंटों बाथरूम में….बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में कही ये बात

नहीं करना चाहता अपनी मां से बात...बचपन में घंटों बाथरूम में...! I don't want to talk to my mother, Son tells to SUPREME Court

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  • Publish Date - April 11, 2022 / 08:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

नयी दिल्ली:  don’t want to talk mother एक व्यक्ति ने अपने ‘‘दर्दनाक बचपन’’ को याद करते हुए उच्चतम न्यायालय को सोमवार को बताया, ‘‘मुझे पीटा गया। मैं घंटों शौचालय (बाथरूम) में बंद रहा। मैं अपनी मां से बात नहीं करना चाहता।’’ इस व्यक्ति के माता-पिता अलग रहते हैं और वे दो दशकों से तलाक के मुकदमे में उलझे हुए हैं। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने माता-पिता और बेटे से कक्ष में 45 मिनट से अधिक समय तक बात करके इस व्यक्ति को अपनी मां से बात करने के लिए मनाने की कोशिश की।

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don’t want to talk mother उच्चतम न्यायालय एक वैवाहिक विवाद मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें पति पिछले दो दशकों से अपनी पत्नी से तलाक का अनुरोध कर रहा है और उसकी पत्नी इसका विरोध कर रही है। मां का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने जब पीठ से कहा कि उसे अपने बेटे से बात करने की अनुमति दी जाए क्योंकि वह अपने पिता के साथ रहता है, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बेटे को अपनी मां से बात करने को कहा।

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अदालत में व्यक्तिगत रूप से मौजूद 27 साल वर्षीय व्यक्ति ने अदालत को बताया कि उसकी मां सात साल की उम्र में उसे पीटती थी और उसे बाथरूम में बंद कर देती थी। अपने दर्दनाक बचपन को याद करते हुए, बेटे ने कहा, ‘‘अपनी मां से बात करके मेरी दर्दनाक यादें वापस लौट आयेगी। कौन सी मां अपने सात साल के बेटे को पीटती है? जब वह बाहर जाती थी तो मुझे घंटों बाथरूम में बंद कर दिया जाता था। मेरे पिता ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया।’’

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मां के वकील ने कहा कि बेटा सोची समझी कहानी बता रहा है और ऐसा कुछ नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि वह 27 साल का युवक है, उसकी अपनी समझ है और उसे सोची समझी कहानी बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। पति की ओर से पेश अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने कहा कि बच्चे की मां ने अपने बेटे का संरक्षण लेने के लिए कभी अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया।

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दवे ने कहा कि उनका मुवक्किल केवल यह चाहता है कि इस विवाद को समाप्त किया जाए और अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग करके अदालत द्वारा तलाक दिया जाए। इस व्यक्ति की मां के वकील ने कहा कि वह तलाकशुदा होने के कलंक के साथ नहीं जीना चाहती। इस जोड़े ने 1988 में शादी की थी और 2002 में पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा और अलग रहने लगे।

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