मैं सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हूं: इंजीनियर रशीद ने अदालत से कहा
मैं सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हूं: इंजीनियर रशीद ने अदालत से कहा
नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद ने यह दावा करते हुए संसद के आगामी सत्र में भाग लेने के लिए ‘कस्टडी पैरोल’ देने का बुधवार को अनुरोध किया कि वह सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं।
रशीद के वकील ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह के समक्ष यह दलील दी, जिन्होंने दलीलों पर सुनवाई के बाद याचिका पर फैसला सात मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया।
रशीद की अंतरिम जमानत या ‘कस्टडी पैरोल’ देने के अनुरोध वाली याचिका अधिवक्ता विख्यात ओबेरॉय ने 27 फरवरी को दायर की थी, जिसके बाद अदालत ने सात मार्च को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा था।
वकील ने पहले तर्क दिया था कि वह (रशीद) एक सांसद हैं और अपने लोक कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए संसद के आगामी सत्र में उन्हें उपस्थित होना आवश्यक है।
‘कस्टडी पैरोल’ के तहत कैदी को सशस्त्र पुलिस कर्मियों द्वारा निर्धारित स्थान पर ले जाया जाता है।
ओबेरॉय ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो दिनों के लिए ‘कस्टडी पैरोल’ दी थी, जिससे रशीद संसद सत्र में भाग ले सके।
रशीद द्वारा संसद में जम्मू-कश्मीर के विभागों के कामकाज पर सवाल पूछे जाने का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, ‘‘मैंने (रशीद) उन सभी विभागों के लिए प्रश्न पूछे हैं। और इसलिए मैं उन सभी प्रश्नों पर बहस का अनुरोध कर रहा हूं। मैं पूरी तरह से उच्च न्यायालय के फैसले का पालन करता हूं (कि ‘कस्टडी पैरोल’ के उसके आदेश को एक मिसाल नहीं बनाया जाएगा)… साक्ष्यों के मद्देनजर मैं केवल यह तर्क देने की कोशिश कर रहा हूं, मैं सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हूं।’’
उन्होंने दलील दी कि एक सांसद के तौर पर रशीद कश्मीर की 45 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए उन्हें (सदन में) उनके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जा सकती है।
वकील ने कहा, ‘‘मैं केवल यह अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें (रशीद) जनता के लिए संसद जाना चाहिए। यह मेरी शर्त नहीं है। मेरी यह दलील नहीं है कि कि संसद में उपस्थित होना मेरे मुवक्किल का मौलिक अधिकार है। मेरा निष्कर्ष यह है कि इसमें उपस्थित होना मौलिक कर्तव्य है।’’
एनआईए के वकील ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि सांसद होने के नाते किसी व्यक्ति को हिरासत से छूट का अधिकार नहीं है।
एनआईए के वकील ने दलील दी, ‘‘आज, वह एक सांसद हैं (अपने कर्तव्य को पूरा करने के आधार पर ‘कस्टडी पैरोल’ का अनुरोध कर रहे हैं)। कल, एक चिकित्सक कह सकता है कि मुझ पर एक अपराध का आरोप है, लेकिन मुझे लोगों की जान बचाने के लिए सर्जरी करने की जरूरत है और मेरे मरीज इंतजार कर रहे हैं? क्या वह सर्जरी कर सकता है?… तो कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि मुझे अपना कर्तव्य निभाना है, मुझे अपना कार्य करना है…।’’
शेख अब्दुल रशीद को इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार एवं मौजूदा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया था।
रशीद की नियमित जमानत याचिका फिलहाल अदालत में लंबित है। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होगा और यह चार अप्रैल को समाप्त होगा।
न्यायाधीश ने 10 सितंबर को रशीद को अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार कर सकें।
रशीद ने 27 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था।
आतंकवाद को वित्त पोषण संबंधी 2017 के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, वह 2019 से तिहाड़ जेल में बंद रखे गए हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी को सत्र न्यायाधीश को मामले में रशीद की जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
रशीद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली के खिलाफ जांच के दौरान सामने आया था, जिसे एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को कथित रूप से वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
एनआईए ने इस मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत कई लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।
मलिक को मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद 2022 में एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
भाषा
खारी पवनेश
पवनेश

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