पतियों ने किया अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

alive wifes Pind Daan: पतियों ने किया अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश, एक पति ने कराया मुंडन

  •  
  • Publish Date - September 19, 2022 / 05:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

alive wifes Pind Daan: मुंबई। इन दिनों पितृपक्ष और श्राद्ध का महीना चल रहा है, जहां लोग अपने मृत परिजनों का पिंडदान करते हैं। पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है, ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूटे और वो आगे की यात्रा प्रारंभ कर सके। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने पितृों का तर्पण करने के लिए गया भी जाते है। इससे मृत पितृ की आत्म को शांती मिलती है। साथ ही परिजानों पिंड को छोड़ने जाते है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले साथ ही परिजनों को वे सताए न। इसलिए तर्पण बहुत जरूरी होता है। लेकिन पिंडदान सिर्फ मृत लोगों का होता है न कि जिंदा व्यक्तियों का। लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

ये भी पढ़ें- बड़ा ही नहीं छोटा भाई भी विधवा भाभी से पूरी करता था हवस, एक दिन खुल गया राज, फिर…

जिंदा पत्नियों का किया पिंडदान

alive wifes Pind Daan: इसी मौके पर मुंबई में एक अनोखा नजारा देखने मिला। पितृपक्ष के मौके पर मुंबई में बानगंगा टैंक के किनारे कई लोगों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया। ये सभी ऐसे पत्नी पीड़ित पति थे, जिनका या तो तलाक हो चुका है या फिर मामला कोर्ट में लंबित है। इन सभी लोगों ने शादी की बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए पूरे विधि विधान के साथ अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया। इनमें से एक शख्स ने मुंडन भी कराया, तो बाकियों ने सिर्फ पूजा में हिस्सा लिया। ये कार्यक्रम पत्नी पीड़ित पतियों की संस्था वास्तव फाउंडेशन की तरफ से मुंबई में आयोजित किया गया था। ताकि ऐसे पीड़ित पति जो अपनी पत्नियों के उत्पीड़न को भुला नही पा रहे हैं और अपने बुरे रिश्ते को ढोने को मजबूर हैं, उससे इन्हें निजात दिलाई जाए।

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री ने मादा चीते को दिया ‘आशा’ नाम, जानें क्या है ये नाम रखने के पीछे की वजह

सभी पत्नी उत्पीड़न से परेशान

alive wifes Pind Daan: पिंडदान करने वाले पतियों का मानना है की महिलाएं अपनी आजादी का फायदा उठाकर उनका शोषण करती है, लेकिन उनके आगे पुरुषों की सुनवाई नहीं होती है। अपनी पत्नियों के साथ उनका रिश्ता एक तरह से मर गया है, इसलिए पितृपक्ष के मौके पर ये पिंडदान किया गया है, ताकि बुरी यादों से उन्हें छुटकारा मिल सके। ये सभी लोग अपनी पत्नियों के उत्पीड़न से परेशान थे। इनमें से ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिनका या तो तलाक हो चुका है या फिर वो अपनी पत्नी को छोड़ चुके है। मगर उनकी बुरी यादें अभी भी उन्हें परेशान कर रही है। इन्ही बुरी यादों से मुक्ति के लिए ये आयोजन किया गया है। गौरतलब, है कि हर साल वास्तव फाउंडेशन इस तरह का आयोजन अलग अलग शहरों में करवाता है।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें