ULFA Peace Accord: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA), केंद्र और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर आज हस्ताक्षर किये गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने ULFA के प्रतिनिधियों को इसका श्रेय देते हुए कहा कि उनके कोशिश की वजह से ही यह संभव हो पाया है। गृह मंत्री ने कहा कि इस समझौते की सभी बातें समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएंगी। इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी मौजूद थे।
नॉर्थ ईस्ट में हुआ उग्रवाद का अंत
बता दें कि बीते उल्फा असम में ऐक्टिव एक उग्रवादी संगठन है। परेश बरुआ ने साथी अरबिंद राजखोवा और अनूप चेतिया के साथ मिलकर 7 अप्रैल 1979 को इसका गठन किया था। इसका उद्देश्य असम को स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाना था। 12 साल से केंद्र सरकार अरबिंदा राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट के साथ बातचीत कर रही थी। बता दें कि उग्रवादी संगठन ULFA का एक गुट अब भी इस शांति समझौते का हिस्सा नहीं है। इसके हेड परेश बरुआ हैं।
असम के लोगों को मिलेगा रोजगार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद मुक्त उत्तर-पूर्व भारत की कल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा है। बता दें कि भारत सरकार, असम सरकार और ULFA के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी गुटों की बात को यहीं समाप्त करने में सफलता मिल गई है। इस समझौते में कहा गया है कि असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखा जाएगा। इसके अलावा असम के लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाए जाएंगे। उल्फा में शामिल रहे लोगों को भी रोजगार दिए जाएंगे। सशस्त्र आंदोलन छोड़ने वाले उल्फा के सदस्यों को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार सहयोग करेगी।