हिंडनबर्ग के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि ‘मोदानी’ को क्लीन चिट मिल गई : कांग्रेस

हिंडनबर्ग के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि 'मोदानी' को क्लीन चिट मिल गई : कांग्रेस

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 05:46 PM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 05:46 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी निवेश एवं अनुसंधान कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि ‘मोदानी’ को क्लीन चिट मिल गई है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदाणी समूह और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) से जुड़े मामलों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि ये गंभीर अपराधिक कृत्य हैं जिनकी पूरी तरह से जांच केवल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा ही की जा सकती है।

अमेरिकी निवेश एवं अनुसंधान कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद कर दिया गया है। इसके संस्थापक नैट एंडरसन ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने के बाद यह कंपनी चर्चा में आ गई थी।

रमेश ने एक बयान में कहा, ‘हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का किसी भी तरह से यह मतलब नहीं है कि ‘मोदानी’ को क्लीन चिट मिल गई है। ‘

उन्होंने कहा, ‘ जनवरी 2023 में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट इतनी गम्भीर साबित हुई थी कि भारत के उच्चतम न्यायालय को उसमें अदाणी समूह, जिसे किसी और का नहीं, ख़ुद प्रधानमंत्री का संरक्षण प्राप्त है, के खिलाफ़ सामने आए आरोपों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ‘

कांग्रेस नेता ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ‘मोदानी महाघोटाले’ के केवल एक हिस्से, प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन को ही कवर किया गया था।

रमेश ने दावा किया, ‘यह मामला और भी ज़्यादा गंभीर है। इसमें राष्ट्रीय हित की क़ीमत पर प्रधानमंत्री के क़रीबी मित्रों को और समृद्ध करने के लिए भारत की विदेश नीति का दुरुपयोग शामिल है। इसमें भारत के व्यवसायियों को अपनी महत्वपूर्ण संपत्तियों को बेचने के लिए मजबूर करने और अदाणी को हवाई अड्डों, बंदरगाहों, रक्षा एवं सीमेंट जैसे क्षेत्रों में एकाधिकार बनाने में मदद करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग शामिल है।’

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसमें सेबी जैसी संस्थानों पर कब्ज़ा किए जाने का मुद्दा शामिल है, जिसकी प्रमुख (माधवी बुच) अदाणी के साथ हितों के टकराव और वित्तीय संबंधों के स्पष्ट सबूत होने के बावजूद अपने पद पर बनी हुई हैं।

रमेश ने दावा किया, ‘मोदानी भले ही भारत की संस्थाओं पर क़ब्ज़ा कर सकते है और किया भी है , लेकिन देश के बाहर उजागर हुई आपराधिक गतिविधियों को इस तरह से नहीं छुपाया जा सकता। ‘

उन्होंने कहा, ‘ये सभी मित्र पूंजीवाद से जुड़े गंभीर अपराधिक कृत्य हैं जिनकी पूरी तरह से जांच केवल संयुक्त संसदीय समिति द्वारा ही की जा सकती है। जेपीसी के बिना, पूरी तरह से नियंत्रित की जा चुकी भारत की संस्थाएं केवल शक्तिशाली लोगों और प्रधानमंत्री के करीबियों की रक्षा के लिए काम करेंगी, भारत के ग़रीब और मध्यम वर्ग को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा।’

अदाणी समूह में अतीत में हिंडनबर्ग और कांग्रेस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया था।

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