गोपेश्वर, 27 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के खुले में रखे ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से बुधवार को दुर्लभ प्रजाति के दो हिमालयी काले भालूओं की मृत्यु हो गयी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि मरने वाले भालुओं में से एक शावक है।
हिमालयी काला भालू, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की खतरे की स्थिति में पहुंच गयी प्रजातियों की लाल सूची में ‘असुरक्षित’ रूप में सूचीबद्ध किया गया है ।
अधिकारियों ने बताया कि ये हिमालयी भालू बुधवार तड़के हादसे का शिकार हुए। हादसे के समय एसटीपी का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं था। घटना की जानकारी सुबह 10 बजे स्टॉफ के मौके पर पहुंचने के बाद हुई ।
करीब डेढ़ साल पहले चमोली जिले में ही इसी तरह एसटीपी में रखे बिजली के ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से एक दर्जन से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
हादसा इतना खतरनाक था कि दोनों हिमालयी काले भालू ट्रांसफार्मर पर ही चिपक गए थे और उन्हें निकालने में घंटों लग गए ।
अधिकारियों ने बताया कि हादसा केदारनाथ वन्य जीव वन प्रभाग की गोपेश्वर रैंज के अंतर्गत गोपेश्वर में हुआ। ये भालू गोपेश्वर वन पंचायत के जंगल से सटे इस एसटीपी में आ गए थे।
जल संस्थान द्वारा संचालित एसटीपी का निर्माण भूस्खलन क्षेत्र में हुआ है और कई साल पहले उसकी एक ओर की सुरक्षा दीवार ध्वस्त हो गई थी। ध्वस्त किनारे से ही भालू एसटीपी में पहुंचे जहां मां और बच्चा दोनों जान गंवा बैठे ।
घटना की जानकारी मिलते ही केदारनाथ वन्यजीव वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी तरुण एस पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने कहा कि एसटीपी में ट्रांसफार्मर को अगर तारबाड़ कर सुरक्षित स्थान पर रखा जाता तो इस हादसे से बचा जा सकता था ।
दोनों भालूओं के शरीर को पोस्टमार्टम के बाद देर शाम जला दिया गया ।
भाषा सं दीप्ति रंजन
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