हिजाब विवाद: उच्च न्यायालय ने छात्रों से मामला सुलझने तक ‘धार्मिक चीजें’ पहनने पर जोर नहीं देने को कहा

हिजाब विवाद: उच्च न्यायालय ने छात्रों से मामला सुलझने तक ‘धार्मिक चीजें’ पहनने पर जोर नहीं देने को कहा

  •  
  • Publish Date - February 10, 2022 / 06:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

बेंगलुरु, 10 फरवरी (भाषा) हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को छात्रों से कहा कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक वे शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में ऐसा कोई वस्त्र पहनने पर जोर नहीं दें जिससे लोगों को उकसाया जा सके।

अदालत ने मामले की सुनवाई सोमवार के लिए निर्धारित करते हुए यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए कक्षाएं फिर से शुरू कर सकते हैं।

बुधवार को गठित मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम काजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की तीन सदस्यीय पीठ ने यह भी कहा कि वह चाहती है कि मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए लेकिन उस समय तक शांति और सद्भावना बनाए रखनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मामले के निपटारे तक आप लोगों को इन सभी धार्मिक चीजों को पहनने की जिद नहीं करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आदेश पारित करेंगे। स्कूल-कॉलेज शुरू होने दें। लेकिन जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक किसी भी छात्र-छात्राओं को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देना चाहिए।’’

हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील देवदत्त कामत ने अदालत से उनकी आपत्ति पर विचार करने का अनुरोध किया कि ऐसा आदेश अनुच्छेद 25 के तहत उनके मुवक्किल के संवैधानिक अधिकारों को निलंबित करने के बराबर होगा। कामत ने कहा, ‘‘यह उनके अधिकारों का पूर्ण हनन होगा।’’

इस पर मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा कि यह व्यवस्था केवल कुछ दिन के लिए है जब तक कि मामला हल नहीं हो जाता है और उनसे सहयोग करने का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति दीक्षित ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश अवस्थी के पास इस राय के साथ भेज दिया था कि मुख्य न्यायाधीश मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं।

हिजाब विवाद पिछले दिनों उडुपी में शुरू हुआ था जब कुछ छात्राओं को महाविद्यालयों में हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया। इसके बाद हिंदू छात्र भगवा गमछा लेकर स्कूल-कॉलेज आने लगे। बाद में राज्य के अन्य स्थानों पर भी पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन होने लगे।

भाषा आशीष अनूप

अनूप