प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी की गिरफ्तारी पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम की पीठ ने अजीज कुरैशी द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। कुरैशी ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक स्थानीय नेता आकाश कुमार सक्सेना द्वारा पांच सितंबर को रामपुर जिले के सिविल लाइंस पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था।
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मामले की सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार के वकील ने सरकार से सूचना प्राप्त करने और केस डायरी मंगाने के लिए अदालत से तीन दिन का समय मांगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए याचिकाकर्ता के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि तथ्यों और इस मामले की पृष्ठभूमि पर विचार करते हुए और इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल हैं और करीब 82 वर्ष की आयु के बुजुर्ग व्यक्ति हैं, उन्हें अंतरिम आदेश से राहत दी जानी चाहिए ताकि उनका उत्पीड़न ना किया जा सके।
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अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि छह अक्तूबर निर्धारित करते हुए कहा कि इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करते हुए याचिकाकर्ता को सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी से छूट दी जाती है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी पर राज्य सरकार के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। आकाश कुमार सक्सेना ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आजम खान के घर जाने और उनकी पत्नी से मुलाकात करने के बाद कुरैशी ने राज्य सरकार के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया। इस बयान से दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो सकता था और समाज में अशांति फैल सकती थी।
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कुरैशी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 124ए और 505 (1) (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुरैशी वर्ष 2014 से 2015 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे। उनके पास जून, 2014 में कुछ समय के लिए उत्तर प्रदेश का भी प्रभार था।