देहरादून, छह दिसंबर (भाषा) भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले उत्तराखंड में दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुंच को आसान बनाने के लिए पिछले दो साल में राज्य में आठ स्थानों पर हैलीपोर्ट बनकर तैयार किए जा चुके हैं जबकि छह अन्य स्थानों पर हैलीपोर्ट का निर्माण प्रगति पर है।
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी दयानंद सरस्वती ने शुक्रवार को यहां बताया कि बीते दो साल में सहस्रधारा, श्रीनगर, गौचर, चिन्यालीसौड़, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और मुनस्यारी में हैलीपोर्ट तैयार किया जा चुका है, जो अब यात्रियों को अपनी नियमित सेवाएं दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, यूकाडा त्रिजुगीनारायण, जोशीमठ, मसूरी, रामनगर, बागेश्वर, हरिद्वार में हैलीपोर्ट पर काम शुरू कर चुका है। इन सभी जगहों पर अगले एक साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
हैलीपोर्ट पर एक साथ कई हैलीकॉप्टर की पार्किंग, मेंटीनेंस (हैंगर) सुविधा के साथ ही यात्रियों के लिए विश्राम करने, कैंटीन, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। हैलीपोर्ट का निर्माण हवाईअड्डे की तर्ज पर किया जाता है।
सरस्वती ने बताया कि इसके साथ ही राज्य में अब 100 से अधिक हैलीपैड भी बनकर तैयार हो चुके हैं जो किसी भी यात्री सेवा या आपातकालीन स्थिति में संचालन के लिए उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पंतनगर और जौलीग्रांट हवाईअड्डों का विस्तार कर रही है जिसके लिए जमीन अधिगृहण की कार्रवाई की जा रही है। सरस्वती ने बताया कि पंतनगर हवाई अड्डे का विकास ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की तर्ज पर जबकि जौलीग्रांट का विकास अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि देश का आम आदमी भी हवाई सफर कर सके जिसके लिए उत्तराखंड में उड़ान योजना के साथ ही मुख्यमंत्री उड़नखटौला योजना के जरिए हवाई सेवाओं का विकास किया जा रहा है।
धामी ने कहा कि इसका लाभ तीर्थाटन और पर्यटन गतिविधियों के बढ़ने के रूप में भी मिलेगा।
भाषा
दीप्ति, रवि कांत
रवि कांत