बीजेपी की याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने पूछा ‘कैसे तय करें कि विधायकों ने हलफनामे अपनी मर्जी से दिए है या नहीं?

बीजेपी की याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने पूछा 'कैसे तय करें कि विधायकों ने हलफनामे अपनी मर्जी से दिए है या नहीं?

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  • Publish Date - March 18, 2020 / 09:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की याचिका पर सुनवाई जारी है, एक बार फिर से जस्टिस चन्द्रचूड ने अपना सवाल दोहराया है, उन्होने कहा कि हम कैसे तय करें कि विधायकों ने जो हलफनामे दिए हैं वो हलफनामे मर्जी से दिए गए है या नहीं? कोर्ट TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकता। उन्होने कहा कि हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विधायक दबाव में हैं या नहीं।

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वहीं बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट की सन्तुष्टि के लिए इन विधायकों की जज के चैम्बर में परेड कराई जा सकती है, कर्नाटक HC के रजिस्ट्रार जनरल उनसे मिलकर वीडियो बना सकते हैं, जिसके बाद जजों ने इससे भी इंकार कर दिया है।

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BJP के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजने से पहले राज्यपाल को सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना होता है। जस्टिस चन्द्रचूड ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सवाल यह है कि क्या कोर्ट विधायकों को भोपाल आने को कह सकता है?  हम यही कर सकते हैं कि देखें कि वह लोग स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या नहीं।

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जिस पर बीजेपी के वकील रोहतगी ने कहा एक वीडियो सामने है जिसमें विधायक कह रहे हैं कि उन पर कोई दबाव नहीं है, वह अपनी मर्ज़ी से बंगलुरू में हैं, अगर कोई सरकार फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी, उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है।

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