स्वास्थ्य सचिव आशा किरण आश्रय गृह में चिकित्सों के रिक्त पद फौरन भरें : उपराज्यपाल

स्वास्थ्य सचिव आशा किरण आश्रय गृह में चिकित्सों के रिक्त पद फौरन भरें : उपराज्यपाल

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  • Publish Date - September 14, 2024 / 10:34 PM IST,
    Updated On - September 14, 2024 / 10:34 PM IST

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए स्थापित आशा किरण आश्रय गृह में चिकित्सकों के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए।

उन्होंने यह निर्देश एक रिपोर्ट में तपेदिक (टीबी) और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मामलों में वृद्धि की बात सामने आने के बाद दिए। राजनिवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

यह निर्देश सक्सेना द्वारा आशा किरण आश्रय गृह को लेकर मांगी गई रिपोर्ट के बाद जारी किए गए, जहां जुलाई में 14 मौतें हुई थीं।

आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि चिकित्सकों की कमी और आश्रम के प्रशासक की लापरवाही को लेकर उसका आकलन सही साबित हुआ है। पार्टी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

राज निवास के अधिकारियों के मुताबिक, उपराज्यपाल सक्सेना को सौंपी गई रिपोर्ट में आश्रय गृह में क्षमता से अधिक लोगों को रखने,चिकित्सकों की अनुपस्थिति, संक्रामक रोगों का प्रसार, खराब ‘वेंटिलेशन’, साफ-सफाई और पेयजल सुविधाओं का अभाव जैसे मुद्दे उठाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा 19 जुलाई को सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर कड़ा रुख अपनाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधीक्षक और कल्याण अधिकारियों द्वारा देखरेख में कमी के कारण आश्रय गृह में रह रहे लोग कुपोषण के शिकार हुए, जिसकी वजह से गंभीर गैस्ट्रोएंटेराइटिस और टीबी के मामलों में वृद्धि हुई।

अधिकारियों के अनुसार, सीएमओ ने साफ-सफाई की खराब स्थिति को भी उजागर किया और बताया कि प्रशासक ने कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं की।

जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छह जुलाई को सीएमओ को भेजे गए पत्र में अधीक्षक ने बताया था कि टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है और आश्रय गृह में रह रहे लोगों की इस बीमारी से मौत भी हो रही है।

रिपोर्ट में ऐसी मौतों के लिए मुख्य कारण देर से जांच और इलाज का अभाव बताया गया है। इसमें में यह भी उल्लेख किया गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा संस्थानों और सेवाओं के पदाधिकारियों के लिए जारी दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा था, खासकर चिकित्सा अधिकारियों के दौरे, नर्सिंग स्टाफ द्वारा दवा देने और मरीजों के साथ बाहरी स्वास्थ्य सुविधाओं में जाने वाले चिकित्सा कर्मियों के संबंध में।

उपराज्यपाल ने रेखांकित किया, ‘‘यह समझ से परे है कि संक्रामक बीमारी फैलने की स्थिति में, इसके प्रसार को रोकने के लिए आश्रय गृह के रहवासियों को अलग क्यों नहीं रखा गया। यह भी सामने आया है कि वहां निवास करने वालों की संख्या सुविधा की क्षमता से कहीं अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप उनके लिए अमानवीय स्थिति पैदा हो गई।’’

उपराज्यपाल ने इस आश्रय गृह में बुनियादी ढांचे के उन्नयन और अतिरिक्त उपकरणों की खरीद पर तत्काल कार्रवाई करने को कहा, जबकि आशा किरण आश्रय गृह का संचालन करने वाले समाज कल्याण विभाग को उसमें रहने वाले लोगों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने, उनके उपचार के इतिहास, स्वास्थ्य मापदंडों और पोषण संबंधी जानकारी पर नजर रखने को कहा गया है।

सक्सेना ने समाज कल्याण विभाग का कोई मंत्री नहीं होने की वजह से मुख्य सचिव से समस्याओं के निवारण, सुधार और निगरानी का निर्देश देने को कहा है।

अधिकारियों ने बताया कि उप राज्यपाल ने आशा किरण आश्रय गृह के रहवासियों की मौत के बाद ऐसी सभी सुविधाओं के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण पर ‘श्वेत पत्र’ तलब किया है। उन्होंने मुख्य सचिव को इसकी प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है और आश्रय गृह में बुनियादी ढांचे का उन्नयन युद्ध स्तर पर करने के निर्देश जारी किए हैं।

जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, आश्रय गृह में चिकित्सकों के 12 पद रिक्त थे, जबकि मरीजों को संभालने के लिए आवश्यक कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण का अभाव था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आहार योजना पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती थी और बुनियादी सुविधाएं जैसे एग्जॉस्ट पंखे, एयर प्यूरिफायर, वातानुकूलन, वाटर प्यूरिफायर और उन्नत जांच उपकरण नदारद थे।

पूरे घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए ‘आप’ ने कहा कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार कह रही है कि आशा किरण आश्रय गृह में जिस तरह के अधिकारी तैनात थे, उससे पता चलता है कि ‘सेवा’ विभाग वहां रहने वालों की बद्तर स्थिति के प्रति संवेदनशील नहीं था, जबकि ‘सेवा’ विभाग सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है।

पार्टी ने यहां जारी एक बयान में दावा किया, ‘‘उन्होंने इस आश्रय गृह के प्रशासक के रूप में एक भ्रष्ट अधिकारी को नियुक्त किया था। यह रिकॉर्ड में है कि इस अधिकारी को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एसडीएम रहते हुए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था।’’

‘आप’ ने आरोप लगाया, ‘‘हम उपराज्यपाल से पूछ रहे हैं कि ऐसे अधिकारी को आशा किरण आश्रय गृह का प्रशासक क्यों नियुक्त किया गया, लेकिन उनके कार्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया। ‘आप’ प्रशासक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है, लेकिन उपराज्यपाल कार्यालय ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।’’

भाषा धीरज पारुल

पारुल