उच्च न्यायालय ने यौन शोषण की पीड़िता को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

उच्च न्यायालय ने यौन शोषण की पीड़िता को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

  •  
  • Publish Date - September 18, 2024 / 08:54 PM IST,
    Updated On - September 18, 2024 / 08:54 PM IST

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने पिता द्वारा यौन शोषण की शिकार हुई एक महिला को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी देते हुए कहा कि मुआवजा न्याय सुनिश्चित करने का एक अनिवार्य हिस्सा है।

पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसके पिता ने 2018 में उसका शारीरिक और यौन शोषण किया था, जब वह 17 साल की थी। महिला के पिता के खिलाफ आरोप तय किए गए और जब वह अंतरिम जमानत पर बाहर आया, तो उसने 2021 में आत्महत्या कर ली, जिसके बाद उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही समाप्त कर दी गई।

निचली अदालत ने पीड़िता को 85,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने पीड़िता को दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ा दिया और कहा कि चूंकि उसे पिछली राशि पहले ही मिल चुकी है, इसलिए वह अब 9.65 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि पाने की हकदार है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, ‘‘इस तरह मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा जिस कानूनी ढांचे के अंतर्गत इस पर निर्णय लिया जाना है, उसे ध्यान में रखते हुए, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) को याचिकाकर्ता को तत्काल 9.65 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘पीड़िता को मुआवज़ा देना न्याय सुनिश्चित करने का एक अनिवार्य हिस्सा है। मुआवजा न केवल आर्थिक राहत प्रदान करता है, बल्कि यह एक ऐसा कार्य भी है, जो किसी व्यक्ति को फिर से हिम्मत बंधाने का प्रयास करता है, ताकि पीड़ित पुनर्वास के लिए कदम उठा सके और नये सिरे से शुरुआत कर सके।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को यौन शोषण की गंभीर पीड़ा के साथ-साथ गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ा। अदालत ने कहा कि पीड़िता की मां परिवार में एकमात्र कमाने वाली थी, जिसकी आय बहुत कम थी।

पीठ ने यह भी कहा कि विशेष न्यायाधीश द्वारा दिए गए मुआवजे को बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को मानसिक आघात और वित्तीय संकट के कारण एक साल के लिए अपनी स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि याचिकाकर्ता उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके और अपनी बेहतरी की दिशा में कदम उठा सके, उसे और अधिक मुआवजा दिए जाने की आवश्यकता है।’’

अदालत पीड़िता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसे 85,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था। पीड़िता का कहना था कि यह मुआवजा अपर्याप्त है और उसे हुई पीड़ा के अनुरूप नहीं है।

भाषा आशीष पारुल

पारुल