नई दिल्ली। हाथरस केस में यूपी सरकार ने सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, हलफनामा में राज्य सरकार ने अब तक हुई जांच का ब्यौरा देते हुए मांग की है कि हर हाल में CBI से जांच करायी जाए और जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करे। साथ ही कहा कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए तथ्यों को अपने हिसाब से प्रस्तुत कर रहे हैं।
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पीड़िता का सुबह 3 बजे अंतिम संस्कार किए जाने पर यूपी सरकार ने कहा कि इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर यह फैसला लिया गया था और इंटेलिजेंस इनपुट यह था कि वहां दंगा भड़काया जा सकता है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस घटना को संप्रदायिक और जातीय रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
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सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी फैसला सुनाए जाने को लेकर जिले में हाई अलर्ट था, यह कहा गया कि हाथरस जिला प्रशासन को 29 सितंबर की सुबह से कई खुफिया जानकारी मिली थी, जिस तरह से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक धरना आयोजित किया गया था और “पूरे मामले का फायदा उठाया जा रहा है और इसे एक जातिगत और सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।”
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ऐसी असाधारण और गंभीर परिस्थितियों में, जिला प्रशासन ने सुबह में बड़े पैमाने पर हिंसा से बचने के लिए उसके माता-पिता को मनाकर रात में सभी धार्मिक संस्कारों के साथ शव का अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया।