नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले 50,000 से अधिक लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करें।
उच्चतम न्यायालय केंद्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उसके पिछले साल पांच जनवरी के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने हल्द्वानी में उस 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिस पर रेलवे ने दावा जताया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह योजना बतानी होगी कि इन लोगों का कैसे और कहां पुनर्वास किया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात यह है कि परिवार दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं, वे इंसान हैं और अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। अदालतों को संतुलन बनाए रखने और राज्य को इस संबंध में कुछ करने की जरूरत है।’’
उच्चतम न्यायालय ने बिना किसी देरी के राज्य सरकार को बुनियादी ढांचा विकसित करने और रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक जमीन की पहचान करने का निर्देश दिया। उसने अतिक्रमण हटाने के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों की पहचान करने का भी निर्देश दिया।
रेलवे के अनुसार इस जमीन पर 4,365 लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है जबकि इस पर रहे लोग हल्द्वानी में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका कहना है कि इस जमीन पर उनका मालिकाना हक है।
इस विवादित जमीन पर 4,000 से अधिक परिवारों के करीब 50,000 लोग रह रहे हैं जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं।
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गोला नरेश
नरेश